Suicide: आजकल, आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुके हैं। हाल ही में बेंगलुरु के AI इंजीनियर अतुल सुभाष मोदी ने आत्महत्या कर ली, और इसके पहले उन्होंने एक वीडियो और सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता और उसके परिवार को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया।
इसके पीछे घरेलू हिंसा, झूठे केस और मानसिक तनाव जैसे कारण बताए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनियाभर में 7 लाख लोग आत्महत्या कर लेते हैं, जो मृत्यु की तीसरी बड़ी वजह बन चुकी है। तो सवाल ये उठता है कि आखिर भारत में आत्महत्या के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं।
महिलाओं से ज्यादा पुरुष कर रहे आत्महत्या –
अगर हम भारतीय आंकड़ों की बात करें, तो हम देखेंगे कि आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संख्या महिलाओं से कहीं ज्यादा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2001 से 2022 तक हर साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 40 से 48 हजार के बीच रही, जबकि पुरुषों की संख्या 66 हजार से बढ़कर 1 लाख के पार चली गई। 2022 में 1.70 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या के शिकार हुए, जिनमें से 1.22 लाख पुरुष थे। यानी हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं, जो हर साढ़े 4 मिनट में एक आत्महत्या का आंकड़ा देता है।
ये संख्या चिंता का विषय है, और यह साबित करता है कि आत्महत्या करने के मामले में पुरुषों की संख्या बहुत ज्यादा है।आंकड़े ये भी बताते हैं कि 30 से 45 साल की उम्र के लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या कर रहे हैं। इसके बाद 18 से 30 और फिर 45 से 60 साल के लोग आते हैं। पिछले साल 30 से 45 साल के 54,351 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 77 फीसदी पुरुष थे। इसी तरह 18 से 30 साल के 59,108 लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 65 फीसदी पुरुष थे।
आत्महत्या की वजह क्या है?
अब सवाल ये है कि आत्महत्या के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? एक्सपर्ट्स का कहना है कि आत्महत्या का मुख्य कारण डिप्रेशन और मानसिक तनाव होता है। कई बार ऐसा होता है कि जब किसी इंसान के पास अपनी परेशानी से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, तो वह आत्महत्या कर लेता है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, आत्महत्या करने के मुख्य कारणों में फैमिली प्रॉब्लम्स और बीमारी जैसे एड्स, कैंसर आदि शामिल हैं। 2022 में फैमिली प्रॉब्लम्स के कारण 32% और बीमारी के कारण 19% आत्महत्याएं हुईं। शादी से जुड़ी परेशानियों की वजह से भी लोग आत्महत्या करते हैं, जैसे कि 2022 में 8,164 लोगों ने शादी से जुड़ी समस्याओं के कारण आत्महत्या की, जिनमें से 52 फीसदी पुरुष थे।
पुरुषों में आत्महत्या के कारण –
पुरुषों में आत्महत्या के ज्यादा मामले क्यों होते हैं? इसका कारण समाज में पुरुषों के लिए बनी कुछ परंपराएं और विचारधाराएं हैं। अक्सर पुरुषों से यह उम्मीद की जाती है कि वे मजबूत और ताकतवर हों। इस दबाव में वे अपनी समस्याओं और मानसिक तनाव को दूसरों से साझा नहीं कर पाते। नतीजतन, वे अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं और अंत में आत्महत्या का कदम उठा लेते हैं।
एक रिसर्च में यह भी पाया गया कि बेरोजगारी की स्थिति में पुरुषों में आत्महत्या करने का रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे परिवार और समाज की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहे। इसके अलावा, शराब और ड्रग्स की लत भी आत्महत्या के कारण बन सकती है, क्योंकि नशे की हालत में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
क्या आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है?
भारत में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है? पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आत्महत्या की कोशिश करना अपराध माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। भारतीय न्याय संहिता में आत्महत्या की कोशिश करने के लिए कोई खास प्रावधान नहीं है। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति लोकसेवक को काम करने से रोकने के लिए आत्महत्या की कोशिश करता है, तो उसे सजा हो सकती है। इसके बावजूद, 2017 में ‘मेंटल हेल्थकेयर एक्ट’ पास किया गया, जो यह कहता है कि अगर कोई व्यक्ति तनाव या मानसिक परेशानी के कारण आत्महत्या की कोशिश करता है, तो उसे सजा नहीं दी जा सकती। इस कानून का उद्देश्य उन लोगों को राहत देना है जो मानसिक तनाव से जूझ रहे होते हैं।
आत्महत्या से बचने के उपाय –
आत्महत्या एक गंभीर समस्या है, लेकिन इसे रोका जा सकता है। अगर किसी को परेशानी महसूस हो रही है तो उसे दोस्तों, रिश्तेदारों से बात करनी चाहिए। मानसिक समस्याओं का समाधान सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर किया जा सकता है। परिवार और समाज को भी यह समझना चाहिए कि मानसिक तनाव कोई कमजोरी नहीं है, बल्कि यह एक चिकित्सा समस्या है।
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