MP में सड़कों पर उमड़ा किसानों का जनसैलाब: MSP की कानूनी गारंटी की मांग पर हाईवे जाम
MP में सड़कों पर उमड़ा किसानों का जनसैलाब: MSP की कानूनी गारंटी की मांग पर हाईवे जाम

मध्य प्रदेश में किसानों का आंदोलन तेज हो गया है। दिल्ली किसान आंदोलन की तर्ज पर निमाड़ और मालवा क्षेत्र के हजारों किसान अब सड़कों पर उतर आए हैं। धार जिले के खलघाट टोल प्लाजा पर सोमवार सुबह भारी संख्या में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-52 पर चक्काजाम कर दिया। बड़वानी, धार, खरगोन, खंडवा और अलीराजपुर जिलों के 5,000 से अधिक किसान राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के बैनर तले एकत्र हुए और अपनी लंबित मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन शुरू किया।
किसानों की सबसे बड़ी मांग है—फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी। इसके अलावा किसान कर्जमाफी, फसल बीमा की पारदर्शी प्रक्रिया, और कृषि समस्याओं के स्थायी समाधान जैसी मांगों पर अड़े हुए हैं। किसानों ने साफ चेतावनी दी है कि जब तक सरकार ठोस कार्रवाई नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
टोल पर ट्रैक्टरों का जनसैलाब
सुबह से ही किसानों का ट्रैक्टर काफिला खलघाट टोल पर पहुंचना शुरू हो गया। कुछ ही घंटों में हज़ारों किसान हाईवे पर कब्जा कर चुके थे। किसानों ने कहा कि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार होकर आए हैं। वे अपने साथ कंबल, कपड़े, अनाज, दाल, लकड़ी और कंडे तक लेकर आए हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर आंदोलन लंबे समय तक चलाया जा सके।
किसान नेता रामेश्वर पाटीदार ने कहा,
“हमारी मांगें नई नहीं हैं। हम लंबे समय से सरकार से संवाद कर रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं मिला। जरूरत पड़ी तो आंदोलन अनिश्चितकाल तक चलेगा।”
प्रशासन सतर्क, 400 पुलिसकर्मी तैनात
किसानों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। राष्ट्रीय राजमार्ग-52 पर टोल प्लाजा के दोनों ओर 500 मीटर क्षेत्र में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए गए हैं।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक धीरज बब्बर ने बताया कि जिले के सभी महत्वपूर्ण स्थानों, टोल नाकों और मार्गों पर भारी पुलिस बल तैनात है। ट्रैफिक एडवाइजरी जारी कर भारी वाहनों की एंट्री रोक दी गई है तथा आम जनता से वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करने की अपील की गई है।
सरकार—किसान बैठक बेनतीजा
शनिवार को किसान नेताओं का प्रतिनिधिमंडल भोपाल में कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना से मिला था, लेकिन बैठक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी।
सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्री ने मुख्यमंत्री निवास पर विवाह समारोह होने का हवाला देकर आंदोलन स्थगित करने की मांग की थी, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया।
किसानों का कहना है कि वे केवल आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें लिखित और कानूनी समाधान चाहिए।





