मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद का ऐलान, हुमायूं कबीर की विवादित बयानबाजी ने फैलाई सियासी हलचल
मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद का ऐलान, हुमायूं कबीर की विवादित बयानबाजी ने फैलाई सियासी हलचल

🔥 मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद का ऐलान: हुमायूं कबीर की बयानबाजी ने राजनीति में उबाल
मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल — एक शांत और ऐतिहासिक जिले में अचानक बारूद की बू फैल गई है। मामला है TMC विधायक हुमायूं कबीर के विवादित बयान का, जिन्होंने घोषणा की है कि 6 दिसंबर 2025 को बेलडांगा में बाबरी मस्जिद का शिलान्यास होगा।
हुमायूं कबीर, जो पहले कांग्रेस और भाजपा से जुड़े रहे हैं और अब TMC में सक्रिय हैं, ने कहा है, “1992 में जिन्हें हिम्मत थी बाबरी गिराने की, वे मुर्शिदाबाद आकर गिरा दें।” उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक सेंटिमेंट को भड़काया है।
🔹 सियासी और जमीन विवाद
मूल स्थान पर मस्जिद बनाने की योजना के पहले मालिक ने जमीन देने से इनकार कर दिया। अब नई जमीन छह हिस्सेदारों में बंटी है। चार हिस्सेदार तैयार हैं, जबकि दो विरोध में हैं। हुमायूं का आरोप है कि स्थानीय TMC विधायक रबीउल आलम चौधरी और उनके बेटे पुलिस के साथ जमीन रोक रहे हैं।
यानी मस्जिद का नाम ‘बाबरी’ और जमीन का विवाद अलग-अलग मुद्दे हैं, लेकिन दोनों मिलकर सियासी आग में घी डाल रहे हैं। हुमायूं ने कहा, “अगर मेरा बेटा हो तो BJP बताएगी उसका नाम क्या रखूं?” यह बयान बंगाल की राजनीति में सनसनी फैलाने वाला साबित हो रहा है।
🔹 विरोध और पलटवार
इसके जवाब में BJP और एक हिंदूवादी संगठन ने घोषणा की है कि मुर्शिदाबाद में दो जगह राम मंदिर बनाए जाएंगे। उनका स्टेटमेंट आया, “मस्जिद बनाओ… पर बाबर के नाम पर देश में मस्जिद नहीं बनने देंगे।” अब मामला वक्तव्य बनाम पलटवार, सेंटिमेंट बनाम सेंटिमेंट का हो गया है।
मुर्शिदाबाद पहले भी हिंसा देख चुका है। अप्रैल में वक्फ कानून के विरोध में हुए प्रदर्शन में तीन लोगों की मौत हो चुकी है। आगामी अप्रैल 2026 में विधानसभा चुनाव भी हैं। सवाल यह है कि क्या यह बयान सिर्फ वोट बैंक की रणनीति है या वास्तव में कुछ होने वाला है?
🔹 भविष्य और सुरक्षा अलर्ट
28 नवंबर 2025 को हुमायूं कबीर ने कहा, “रोकने की कोशिश की तो 100 शहीद होंगे, पर 500 लेकर जाएंगे।” इससे यह स्पष्ट है कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए सीधा अलर्ट है। 2024 में भी उन्होंने धमकी भरे बयान दिए थे, लेकिन TMC ने दूरी बनाई और कोई कार्रवाई नहीं हुई।





