जब नारद मुनि ने पूछा भगवान विष्णु से एकादशी का महत्व, आखिर कैसे मिला ब्राह्मण की पत्नी को बैकुंठ का ऐश्वर्या

dainik rajeev

माघ का महीना भगवान विष्णु का महीना माना जाता है और एकादशी की तिथि विश्वेदेवा की तिथि होती है। श्री हरि की कृपा के साथ समस्त देवताओं की कृपा का यह अद्भुत संयोग केवल षटतिला एकादशी को ही मिलता है और इसलिए इस दिन दोनों की ही उपासना से तमाम मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं। इस बार षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी, मंगलवार को रखा जाएगा।

Shattila Ekadashi Vrat Katha
Shattila Ekadashi Vrat Katha

व्रत कथा –

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु के धाम बैकुण्ठ पहुंचे। वहां उन्होंने भगवान विष्णु से षटतिला एकादशी व्रत के महत्व के बारे में पूछा। नारद जी के आग्रह पर भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि, “प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राह्मण की पत्नी रहती थी। उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी और वह मेरी अन्नय भक्त थी और श्रद्धा भाव से मेरी पूजा करती थी।

एक बार उसने एक महीने तक व्रत रखकर मेरी उपासना की। व्रत के प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध हो गया परंतु वह कभी ब्राह्मण एवं देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं करती थी, इसलिए मैंने सोचा कि, यह स्त्री बैकुण्ठ में रहकर भी अतृप्त रहेगी अत: मैं स्वयं एक दिन उसके पास भिक्षा मांगने गया। जब मैंने उससे भिक्षा की याचना की तब उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर मेरे हाथों पर रख दिया। मैं वह पिण्ड लेकर अपने धाम लौट आया और कुछ समय बाद वह देह त्याग कर बैकुंठ आ गई।

Shattila Ekadashi Vrat Katha
Shattila Ekadashi Vrat Katha

यहां उसे एक कुटिया और आम का पेड़ मिला। खाली कुटिया को देखकर वह घबराकर मेरे पास आई और बोली कि, “मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली ? तब मैंने उसे बताया कि, यह अन्नदान नहीं करने तथा मुझे मिट्टी का पिण्ड देने से हुआ है।” मैंने फिर उसे बताया कि, ‘जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब तक वे आपको षटतिला एकादशी के व्रत का विधान न बताएं।’

स्त्री ने ऐसा ही किया और जिन विधियों को देवकन्या ने कहा था उस विधि से षटतिला एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गई। इसलिए हे नारद इस बात को सत्य मानों कि, ‘जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है और तिल एवं अन्नदान करता है उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।”

Shattila Ekadashi Vrat Katha
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