प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर पलटवार: ‘मुद्दों पर बोलना ड्रामा नहीं है’, संसद सत्र में हंगामा जारी
प्रियंका गांधी का पीएम मोदी पर पलटवार: 'मुद्दों पर बोलना ड्रामा नहीं है', संसद सत्र में हंगामा जारी

संसद का शीतकालीन सत्र 2025 का आगाज सोमवार से हो गया और पहले दिन ही हंगामे की संभावना को सच साबित कर दिया। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने सदन को शांत कराने की कोशिश की, लेकिन हंगामा नहीं थमा और लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। इस राजनीतिक माहौल में कांग्रेस नेता और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर पलटवार किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा कि संसद में “ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए।” उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ दल संसद को राजनीतिक रंगमंच बना रहे हैं और यह सत्र हंगामे का मंच नहीं होना चाहिए। पीएम ने सभी राजनीतिक दलों, खासकर विपक्ष से अपील की कि वे सत्र को सुचारू और गरिमामय तरीके से चलाने में सहयोग दें।
प्रियंका गांधी का पलटवार
प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुद्दों पर बोलना और उन्हें उठाना ड्रामा नहीं है। उनका कहना था कि चुनाव की स्थिति, SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) और प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना संसद का काम है। प्रियंका ने स्पष्ट किया कि “ड्रामा का मतलब है चर्चा न होने देना, मुद्दों को दबा देना, और इसे किसी भी तरह की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बजाय राजनीतिक खेल बनाना।”
प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि विपक्ष केवल हंगामा करने के लिए नहीं बल्कि देश और जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने के लिए सदन में है। उन्होंने यह भी बताया कि संसद के अंदर मुद्दों पर खुलकर बात करना लोकतंत्र का हिस्सा है और इसे ‘ड्रामा’ के रूप में पेश करना गलत है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी पीएम मोदी के बयान पर पलटवार किया। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री संसद सत्र की शुरुआत से पहले बयान देकर खुद पाखंड कर रहे हैं, क्योंकि वे सदन में नियमित रूप से उपस्थित नहीं होते और विपक्ष से संवाद नहीं करते। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि अगर संसद सुचारू रूप से नहीं चलती है, तो इसके लिए पूरी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री विपक्ष को महत्वपूर्ण लोक महत्व के मुद्दे उठाने का अवसर नहीं देते और अपनी मर्जी से ही सत्र का संचालन करवाते हैं।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री संसद में उपस्थित नहीं रहते, लेकिन हर सत्र से पहले मीडिया के सामने विपक्ष से रचनात्मक सहयोग की अपील करते हैं। यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए नकारात्मक संदेश है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खुद संसद के हंगामे के लिए जिम्मेदार हैं और विपक्ष का आलोचना करना स्वाभाविक है।
संसद सत्र में पहले दिन की घटनाएं
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान विपक्ष ने लगातार चर्चा की मांग की। विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा अध्यक्ष को कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष का कहना था कि SIR प्रक्रिया, प्रदूषण, और देश के सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों पर चर्चा जरूरी है। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे रोकने की कोशिश की और सदन में ‘ड्रामा नहीं, डिलीवरी हो’ का संदेश दिया।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर कहा कि मुद्दों को उठाना और विरोध करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। उनका कहना था कि यदि विपक्ष सदन में अपने मुद्दों को उठाता है तो इसे ड्रामा नहीं कहा जाना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषण
विश्लेषकों का कहना है कि पीएम मोदी का बयान संसद सत्र के पहले दिन विपक्ष पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा था। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन मान रहे हैं। प्रियंका गांधी और जयराम रमेश के बयानों ने साफ कर दिया कि विपक्ष संसद में सक्रिय होकर अपने मुद्दे उठाने में कोई कमी नहीं छोड़ेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार, संसद सत्र के दौरान यह देखने वाली बात होगी कि क्या प्रधानमंत्री विपक्ष के मुद्दों को गंभीरता से लेते हैं या केवल नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश करते हैं।





