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पुतिन की मध्यस्थता पेशकश पर ट्रंप का तीखा जवाब: “पहले यूक्रेन सुलझाओ, फिर मिडिल ईस्ट की बात करना”

मास्को / वॉशिंगटन / तेहरान / नई दिल्ली
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को ईरान और इज़रायल के बीच जारी टकराव को समाप्त करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की। उन्होंने इस मुद्दे को एक “नाज़ुक और संवेदनशील विवाद” बताया और कहा कि उनके दृष्टिकोण से इसका समाधान संभव है। पुतिन ने ईरान, इज़रायल और अमेरिका के सामने अपने प्रस्ताव साझा किए हैं।

हालांकि, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन की इस पहल पर कड़ा और दो-टूक जवाब दिया है। ट्रंप ने कहा, “पहले अपनी यूक्रेन वाली लड़ाई सुलझाओ, उसके बाद मिडिल ईस्ट की चिंता करना।”

ट्रंप ने किया खुलासा: पुतिन ने की थी सीधे बात

ट्रंप ने कहा कि हाल ही में पुतिन ने उनसे संपर्क किया था और इज़रायल-ईरान संकट को लेकर मध्यस्थता की इच्छा जाहिर की। ट्रंप ने कहा,
“मैंने पुतिन से कहा, पहले यूक्रेन युद्ध खत्म करो, फिर दुनिया को बचाने की बात करना।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों की वास्तविक संख्या छुपाई जा रही है।

ट्रंप ने तीखे लहजे में कहा,
“वहां मिसाइलें गिरती हैं, और कहा जाता है कि कोई घायल नहीं हुआ। क्या ये मज़ाक है?”


ईरान-इज़रायल तनाव के बीच रूस-चीन का फोन संवाद

इसी बीच गुरुवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच फोन पर बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने इज़रायल की कार्रवाई की कड़ी निंदा की और अमेरिका को भी अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी। दोनों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन पर चिंता जताई।

चीन का समर्थन, कूटनीति पर बल

चीन ने रूस की मध्यस्थता की कोशिशों का समर्थन करते हुए कहा कि मास्को इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने में रचनात्मक भूमिका निभा सकता है। दोनों नेताओं ने ज़ोर दिया कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर सैन्य समाधान नहीं, बल्कि कूटनीतिक प्रयास ही एकमात्र रास्ता है।


भारत की कूटनीतिक सतर्कता और राहत प्रयास

ईरान और इज़रायल के बीच तनाव के मद्देनज़र भारत ने भी अपनी वायुसेना और नौसेना को हाई अलर्ट पर रखा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार स्थिति पर हर घंटे नजर बनाए हुए है।

फंसे छात्रों को सुरक्षित निकाला गया

ईरान के तेहरान, तबरेज़ और अन्य शहरों में बमबारी के बाद भारत ने फंसे हुए करीब 110 मेडिकल छात्रों को आर्मेनिया के येरवान पहुंचाया, जहां से उन्हें विशेष विमान से भारत लाया गया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक को घबराने की जरूरत नहीं है।


निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाज़ी और रूस की मध्यस्थता की पेशकश के बाद अब दुनिया की निगाहें पुतिन की संभावित प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। यूक्रेन युद्ध की भट्ठी और मिडिल ईस्ट का बारूद, दोनों ही वैश्विक तनाव के केंद्र बन चुके हैं। ऐसे में पुतिन की पहल कितनी कारगर होगी, यह वक्त ही बताएगा।

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