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संचार साथी एप: न फोन चोरी का डर, न फ्रॉड की टेंशन, जानें 10 फायदे

संचार साथी एप: न फोन चोरी का डर, न फ्रॉड की टेंशन, जानें 10 फायदे

📌 संचार साथी एप का परिचय

टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने भारत में बिकने वाले हर फोन में संचार साथी एप को अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य देशवासियों की साइबर सुरक्षा बढ़ाना और फोन चोरी या फ्रॉड से सुरक्षा सुनिश्चित करना है। सरकार ने मोबाइल निर्माता कंपनियों को 90 दिनों के भीतर इसे प्री-इंस्टॉल करने का आदेश दिया है।

हालांकि विपक्ष इसे नागरिकों के फोन में नजर रखने का तरीका बता रहा है, लेकिन एप की विशेषताएँ इसके लाभ साबित करती हैं। इस एप को गूगल प्ले स्टोर और एपल एप स्टोर से डाउनलोड करना अभी भी ऑप्शनल है, लेकिन भविष्य में हर फोन में इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा।


🔹 संचार साथी एप की 10 खासियत

  1. फोन चोरी पर तुरंत ब्लॉक – अगर आपका फोन चोरी हो जाए, तो एप के जरिए आप उसे तुरंत ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे डेटा और पैसे सुरक्षित रहते हैं।

  2. फर्जी सिम रोकथाम – अब तक 3 करोड़ से ज्यादा फर्जी सिम कनेक्शन बंद किए जा चुके हैं।

  3. सेकेंड हैंड फोन चेक – सेकेंड हैंड फोन खरीदते समय उसका IMEI एप में डालकर पता करें कि फोन चोरी या ब्लैकलिस्टेड है या वैध।

  4. IMEI और CEIR कनेक्शन – एप आपके फोन का IMEI नंबर CEIR सेंट्रल डेटाबेस से मैच करता है और गड़बड़ी तुरंत पकड़ता है।

  5. साइबर फ्रॉड से सुरक्षा – बैंक या कूरियर कंपनी के झूठे कॉल की शिकायत एप पर सीधे दर्ज कर सकते हैं।

  6. चोरी या खोए फोन वापस पाए – अब तक 7 लाख से अधिक फोन मालिकों तक वापस लौटाए जा चुके हैं।

  7. फोन ब्लॉकिंग सुविधा – करीब 37 लाख फोन को सुरक्षा कारणों से ब्लॉक किया गया है।

  8. सरकारी अनिवार्यता – देश में बिकने वाले हर नए फोन में एप प्री-इंस्टॉल रहेगा।

  9. पुराने फोन में अपडेट – पुराने फोन भी सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए इस एप से लैस होंगे।

  10. सुरक्षा और सुविधा एक साथ – न फोन चोरी की चिंता, न फ्रॉड की टेंशन; एप इस्तेमाल करना आसान और सुरक्षित है।


📌 एप का इतिहास

संचार साथी 2023 में पहले एक वेब पोर्टल के रूप में लॉन्च हुआ था। बेहतर रिस्पॉन्स मिलने के बाद 17 जनवरी 2025 को इसका मोबाइल एप लॉन्च किया गया। एप को लोगों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला और इसे अब तक 5 करोड़ से अधिक बार डाउनलोड किया जा चुका है।

एप ओपन करने पर मोबाइल नंबर और OTP के जरिए लॉगिन करना होता है। इसके बाद IMEI नंबर DoT के CEIR सिस्टम से मैच किया जाता है, जिससे फोन चोरी या ब्लैकलिस्टेड है या नहीं पता चलता है।

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