संकट चौथ का व्रत इस बार 29 जनवरी यानी आज रखा जा रहा है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करती है। संकट चौथ को माघ चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन माताओं को भगवान गणेश की उपासना के बाद सकट चौथ की कथा जरूर सुननी चाहिए।
कथा
इस दिन गणेश जी पर बड़ा संकट आकर टला गया था। इसलिए इस दिन का नाम सकट चौथ पड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार – माता पार्वती एक दिन स्नान करने के लिए जा रही थीं। तब उन्होंने अपने पुत्र बालक गणेश को दरवाजे के बाहर पहरा देने का आदेश दिया और बोलीं कि जब तक वे स्नान करके ना लौटें किसी को भी अंदर नहीं आने दें।
भगवन गणेश जी माँ की आज्ञा का पालन करते हुए बाहर खड़े होकर पहरा देने लगे। लेकिन ठीक उसी वक्त भगवान शिव माता पार्वती से मिलने पहुंचे। गणेश जी ने तुरंत ही भगवान शिव को दरवाजे के बाहर रोक दिया। ये देख शिव जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने त्रिशूल से वार कर बालक गणेश की गर्दन धड़ से अलग कर दी।
इधर, पार्वती जी ने बाहर से आ रही आवाज़ सुनी तो वह भागती हुईं बाहर आईं और पुत्र गणेश की कटी हुई गर्दन देख घबरा गईं। तब उन्होंने शिव जी से अपने बेटे के प्राण वापस लाने की गुहार लगाने लगी। भगवन शिव ने माता पार्वती की बात मानते हुए गणेश जी को जीवन दान तो दे दिया लेकिन गणेश जी की गर्दन की जगह एक हाथी के बच्चे का सिर लगानी पड़ी। उसी दिन से सभी महिलाएं अपने बच्चों की सलामती के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत रखती हैं।