टेरर 2.0 : इंटरनेट पर चल रहा है खूनी खेल
डार्क वेब पर चल रहा है ग्लोबल टेरर नेटवर्क—इंटरपोल अलर्ट
Terror 2.0: इंटरपोल और रैंड कॉरपोरेशन की ताज़ा ग्लोबल इंटेलिजेंस रिपोर्ट ने पूरे विश्व की सुरक्षा एजेंसियों को हिला दिया है। रिपोर्ट में साफ चेतावनी दी गई है कि आतंकवाद का चेहरा अब पूरी तरह बदल चुका है। जहां पहले आतंकवादी हथियार, विस्फोटक और गनपाउडर के भरोसे दहशत फैलाते थे, वहीं अब उनका सबसे घातक हथियार मोबाइल फोन, लैपटॉप, क्लाउड नेटवर्क और एन्क्रिप्टेड चैट ऐप्स बन चुके हैं। डिजिटल इकोसिस्टम अब आतंकवादियों का नया युद्धक्षेत्र है और ये जंग पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक हो चुकी है।

लैपटॉप–मोबाइल आतंकियों का सबसे खतरनाक हथियार
रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकवादी Telegram और Signal जैसे ऐप्स पर सीक्रेट चैट रूम बनाकर भर्ती, प्लानिंग और ऑपरेशन चला रहे हैं। डार्क वेब पर दर्जनों अनदेखे नेटवर्क सक्रिय हैं, जहां हथियारों की जानकारी, टारगेट लिस्ट से लेकर टेरर ट्रेनिंग तक सबकुछ डिजिटल फॉर्म में उपलब्ध है। और यही नहीं अब AI और डीपफेक तकनीक आतंकियों के लिए सबसे बड़ा प्रोपेगेंडा टूल बन चुकी है। नकली वीडियो, आवाज़ें और तस्वीरें बनाकर डर, नफरत और कट्टरपंथ को सोशल मीडिया पर बिजली की रफ्तार से फैलाया जा रहा है।

‘डिजिटल लोन वुल्फ’ दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा
सबसे बड़ा खतरा डिजिटल लोन वुल्फ का है, ऐसे लोग जो अकेले बैठकर इंटरनेट पर कट्टरपंथी बनते हैं, आदेश लेते हैं और किसी भी देश में अचानक हमला कर देते हैं। सुरक्षा एजेंसियों के लिए इनकी पहचान लगभग असंभव होती जा रही है क्योंकि ये पूरी तरह एन्क्रिप्टेड और अनट्रेस्ड सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। क्रिप्टोकरेंसी ने आतंक फंडिंग को और भी खतरनाक बना दिया है।

डार्क वेब पर चल रहा है ग्लोबल टेरर नेटवर्क – इंटरपोल अलर्ट
इंटरपोल ने अपनी हाई-लेवल चेतावनी में कहा है कि दुनिया अब साइबर स्पेस में चल रही डिजिटल जिहाद का सामना कर रही है। आतंकवाद अब जमीन पर कम, सर्वर रूम और मोबाइल स्क्रीन के पीछे ज्यादा पनप रहा है। इसी खतरे को देखते हुए इंटरपोल ने Project CT-Tech लॉन्च किया है, जो डिजिटल फोरेंसिक्स, क्लाउड सर्विलांस और हाई-टेक टेरर ट्रैकिंग पर काम कर रहा है।





