कारगिल युद्ध 1999 का गौरवशाली इतिहास
युद्ध में 527 भारतीय सैनिक शहीद और 1300 से अधिक घायल

Kargil War 1999: साल 1999 में हुए कारगिल युद्ध और ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) की सफलता के उपलक्ष्य में हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के उन वीरों के नाम समर्पित है जिन्होंने अपनी जान गंवाकर भारत की संप्रुभता और अखंडता बनाए रखी थी और दुश्मनों से भारत की रक्षा की थी। दरअसल, सर्दियों में LOC (लाइन ऑफ़ कंट्रोल) का तापमान माइनस 30 से माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। सर्दियों के मौसम में इन इलाकों को खाली कर दिया जाता था।

इसी का फायदा उठाकर 3 मई को आतंकवादी और पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ की, घुसपैठियों का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए को काटना था, जो श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाली मुख्य मार्ग है। लेकिन कुछ स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना को इसके बारे में बता दिया। घुसपैठियों ने भारत की इच्छाशक्ति को कम आंका जिसके जवाब में भारतीय सेना ने 5 मई, 1999 को सेना ने पेट्रोलिंग पार्टी को घुसपैठ वाले इलाके में भेजा। पेट्रोलिंग पार्टी जब घुसपैठ वाले इलाके में पहुंची तो घुसपैठियों ने पांचों जवानों को मार दिया। सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के शव से बर्बरता भी की गई।

84 दिन तक चला ऑपरेशन विजय
जिसके बाद ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया – एक ऐसा मिशन जिसमें गहन योजना, मजबूत निश्चय और सैनिकों की अडिग भावना शामिल थी। साथ ही था आधुनिक हथियार बोफ़ोर्स तोप का इस्तेमाल कर करीब 84 दिन तक चले इस संघर्ष में भारतीय सैनिकों ने इंच दर इंच दुर्गम इलाकों में लड़ाई लड़ी, जब तक कि सभी घुसपैठियों को बाहर नहीं निकाल दिया गया और हर पोस्ट दोबारा भारतीय नियंत्रण में नहीं आ गया।

26 जुलाई 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, जैसे अनगिनत वीरों ने अपने पराक्रम के बल पर भारत-पाकिस्तान के बीच चले युद्ध का अंत हुआ, जिसमे 527 भारतीय सैनिक शहीद हुए और 1300 से अधिक घायलो के साथ पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और विजय हासिल की। जिस चलते इसे कारगिल विजय दिवस नाम दिया गया।
