इंदौर के अति प्राचीन और अटूट आस्था का केंद्र श्री खजराना गणेश मंदिर में आज से तीन दिनी तिल चतुर्थी मेला शुरू हो गया हैं। रविवार रात 12 बजे भगवन गणेशजी का स्वर्ण मुकुट सहित स्वर्ण आभूषणों से विशेष श्रृंगार किया गया और इसके बाद तिल-गुड़ के सवा लाख लड्डुओं से भोग लगाया गया। इस दौरान सुबह से ही भगवान गणेश के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।
सोमवार सुबह 10 बजे कलेक्टर एवं मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह, मंदिर प्रशासक हर्षिका सिंह, विधायक महेंद्र हार्डिया ने महोत्सव का शुभारंभ किया और तिल-गुड़ के सवा लाख लड्डुओं को प्रसाद रूप में वितरण शुरू किया। मंदिर परिसर स्थित 40 मंदिरों की ध्वजा का पुजारी पं. मोहन भट्ट और पं. अशोक भट्ट के निर्देश में पूजन होगा और मेले के पहले रात (यानी सोमवार को) आरती के बाद 8.30 बजे से मोहित अग्रवाल शास्त्रीय गायन प्रस्तुत करेंगे।
दो करोड़ के स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार –
गणेश मंदिर में तिल चतुर्थी के उपलक्ष्य में भगवान गणेश का 2 करोड़ की लागत से स्वर्ण आभूषणों से श्रृंगार किया गया। श्रृंगार में स्वर्ण मुकुट, स्वर्ण चंद्रिका, स्वर्ण छत्र, स्वर्ण तिलक आदि आभूषणों से सम्मलित हैं। खास बात ये है कि, 1735 में खजराना गणेश मंदिर की स्थापना भी तिल चतुर्थी के मौके पर ही हुई थी। उस वक्त देवी अहिल्याबाई होलकर ने इस मंदिर की नींव रखी थी।
पुजारी अशोक भट्ट ने बताया कि, तिल चतुर्थी मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मेला के माध्यम से खजराना में भगवान गणेश की विशेष पूजा एवं अनुष्ठानों का आयोजन होगा। जिससे स्थानीय लोगों को आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से लाभ होता हैं और यह महोत्सव खजराना को एक नए रूप में सजाने वाला है और आने वाले दिनों में स्थानीय आतिथ्य और पर्यटन को भी बढ़ावा देता हैं।
तिल चतुर्थी का है विशेष महत्व –
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, तिल चतुर्थी गणेश भगवान की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है। इस दिन खासकर महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में तिलकुट के लड्डू का भोग श्री गणेश को चढ़ाया जाता है। इस चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है।