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जब राजा ने दिया हर दिन एक बच्चे की बलि देने का आदेश, फिर क्या हुआ ? संकष्टी चतुर्थी के दिन पढ़ें ये खास कथा

Sankashti Chaturthi Vrat Katha
Sankashti Chaturthi Vrat Katha

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संकट चौथ का व्रत इस बार 29 जनवरी यानी आज रखा जा रहा है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करती है। संकट चौथ को माघ चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन माताओं को भगवान गणेश की उपासना के बाद सकट चौथ की कथा जरूर सुननी चाहिए।

Sankashti Chaturthi Vrat Katha 
Sankashti Chaturthi Vrat Katha

कथा

कथा के अनुसार, एक राज्य में एक कुम्हार रहता था। एक दिन वह मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए आवा ( मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए आग जलाना ) लगा रहा था। उसने आवा तो लगा दिया लेकिन उसमें मिट्टी के बर्तन पके नहीं और ये देखकर कुम्हार परेशान हो कर राजा के पास गया और सारी बात बताई। राजा ने राज्य के राज पंडित को बुलाकर कुछ उपाय सुझाने को बोला।

Sankashti Chaturthi Vrat Katha 
Sankashti Chaturthi Vrat Katha

तब राज पंडित ने कहा कि, यदि हर दिन गांव के एक-एक घर से एक-एक बच्चे की बलि दी जाए तो रोज आवा पकेगा। राजा ने आज्ञा दी की पूरे नगर से हर दिन एक बच्चे की बलि दी जाए और कई दिनों तक ऐसा चलता रहा। फिर एक बुढ़िया के घर की बारी आई, लेकिन उसके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा उसका अकेला बेटा अगर बलि चढ़ जाएगा तो बुढ़िया का क्या होगा, ये सोच-सोच वह परेशान हो गई।

उसने संकट की सुपारी और दूब देकर बेटे से बोला, जा बेटा, सकट माता तुम्हारी रक्षा करेंगी और खुद सकट माता का स्मरण कर उनसे अपने बेटे की सलामती की कामना करने लगी। अगली सुबह कुम्हार ने देखा क़ी आवा भी पक गया और बालक भी पूरी तरह से सुरक्षित है और फिर संकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक जिनकी बलि दी गई थी, वह सभी भी जी उठें, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उसी दिन से सकट चौथ के दिन मां अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए भगवान गणेश की पूजा और व्रत करती हैं।

Sankashti Chaturthi Vrat Katha 
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