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आज है संकष्टी चतुर्थी ? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खास उपाय
चतुर्थी पर गणेश जी को लगाएं मोदक या लड्डू का भोग
माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस तिथि को तिल चतुर्थी या माघी चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की उपासना करने का विधान है और इस दिन गणेश जी की उपासना से जीवन के संकट टल जाते हैं।

संकट काटने की तिथि होने की वजह से इसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। साथ ही साथ इस दिन का संबंध संतान प्राप्ति से भी होता है और इस दिन संतान संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं। साल की दुसरी संकष्टी चतुर्थी का व्रत 29 जनवरी, सोमवार को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त –
इस दिन माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी, सोमवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से लेकर 30 जनवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। उदयातिथि के अनसार, संकष्टी चतुर्थी 29 जनवरी को ही मनाई जाएगी। साथ ही इस दिन चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 10 मिनट रहेगा।

पूजन विधि –
इस दिन सबसे पहले स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य देना है। इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें उसके बाद गणेश जी को तिलक लगाएं, दुर्वा, जल, चावल, जनेऊ अर्पित करें. फिर गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिल से बनी हुई चीजों का भोग लगाना जरूरी है। इसके बाद धूप और दीया जलाकर भगवान गणेश के मंत्रों का जप करें।
साथ ही इस दिन संकट चौथ की कथा का जाप भी करना चाहिए और गणेशजी के 12 नामों का उच्चारण करना भी शुभ मन जाता हैं। इस दिन गाय की सेवा भी जरूर करनी चाहिए। शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए कलश में तिल डाले और व्रत का पारण करे।

उपाय –
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आर्थिक तंगी – इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ उन्हें घी और गुड़ का भोग लगाना है। पारण के बाद इसे प्रसाद के रूप में खाना है और घर के सभी सदस्यों को बांटना है।
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मेहनत या सफलता का फल – अगर आप काम में पूरी मेहनत करते हैं और उसका आपको फल प्राप्त नहीं होता है तो आपको श्री गणेश के मंत्रों का जाप करना है। जैसे – ऊं गं गणपतये नमः का 11 बार जाप करना है और उनके हर मंत्र के साथ पुष्प भी अर्पित करने हैं। इसके बाद तिल और गुड़ के लड्डूओं का भोग लगाना चाहिए।
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किसी बात से परेशान हैं – अगर आप किसी बात से परेशान हैं तो आपको एक पान के पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक बनाना है। उसके बाद उस पत्ते को भगवान गणेश को अर्पित करना है और उनसे प्रार्थना करनी है कि सभी कष्ट दूर हो जाएं।