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5 या 6 अप्रैल, जाने कब है हनुमान जयंती? सही डेट, शुभ मुहूर्त और पूजन करने की विधि, क्या है पूजा का महत्व

12 Names of Hanuman 
12 Names of Hanuman 

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हनुमान जयंती का पर्व पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ दिन को हनुमान जन्मोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। हनुमान जयंती चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है और इस साल श्रीहनुमान जयंती गुरुवार, 06 अप्रैल को मनाई जाएगी। श्री हनुमान जी को मारुति नंदन, बजरंगबली, आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है।
Shri Hanuman Ji
Shri Hanuman Ji
हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त –
इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 05 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 19 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 06 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, इस बार हनुमान जयंती 06 अप्रैल को ही मनाई जाएगी. साथ ही इस साल हनुमान जयंती हर्षण योग में मनाई जाएगी। साथ ही इस दिन हस्त और चित्रा नक्षत्र रहेगा।
हनुमान जयंती पूजन मुहूर्त –
सुबह    06:06  मिनट से 07:40 मिनट तक
सुबह    10:49  मिनट से दोपहर में 12:23 मिनट तक
दोपहर  12:23  मिनट से 01:58 मिनट तक
दोपहर  01:58  मिनट से 03:32 मिनट तक
शाम    05:07  मिनट से 06:41 मिनट तक
शाम    06:41  मिनट से रात 08:07 मिनट तक
हनुमान जयंती का महत्व –
हनुमान जयंती के अवसर पर मंदिर जाकर हनुमान जी का दर्शन करना चाहिए और उनके सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद 11 बार श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि, ऐसा करने से बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से शनि दोष से भी मुक्ति मिलने की मान्यता है।
हनुमान जयंती पूजन विधि –
व्रत से पहले रात को जमीन पर सोये और भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करें। अगले दिन प्रात: जल्दी उठकर दोबारा राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें। हनुमान जयंती प्रात: स्नान ध्यान करने के बाद हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें और इसके बाद, पूर्व की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें। विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें और इसके बाद षोडशोपाचार की विधि विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।
क्या हैं हनुमान जयंती की पौराणिक कथा –
श्री वाल्मीकि रामायण के अनुसार, सुमेरू के राजा और बृहस्पति के पुत्र केसरी (श्री हनुमान जी के पिता) की पत्नी अंजना (श्री हनुमान जी के माता) एक अप्सरा थीं। हालांकि उन्होंने श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लिया और यह श्राप उनपर से तभी हट सकता था, जब वे एक संतान को जन्म देतीं। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप पवन देव की कृपा से उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। दरअसल, पवनदेव ने ही भगवन शिव की आज्ञा से अंजना के गर्भ में हनुमानजी को स्थापित किया था।

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