शनि ग्रह (Saturn) के छल्ले रहस्यमयी हैं और इस ग्रह के चारों तरफ बने इन छल्लों से होती बर्फीली बारिश से शनि के वायुमंडल का तापमान बढ़ रहा है। अब पृथ्वी पर तो कोई ये नहीं सोच सकता कि बर्फीली बारिश से तापमान कैसे बढ़ रहा है? वैज्ञानिकों ने आजतक सौर मंडल के किसी भी ग्रह के साथ ऐसी विचित्र घटना होते नहीं देखी हैं।
ये खुलासा भी वैज्ञानिकों ने कई स्टडी के बाद ही किया है। उन्होंने हबल स्पेस टेलिस्कोप, कैसिनी प्रोब, वॉयजर-1 और वॉयजर-2 स्पेसक्राफ्ट से मिले डेटा की स्टडी की तब जाकर ये पता चला कि, शनि के छल्लों से गिर रही बर्फ शनि के वायुमंडल को गर्म कर रही हैं और यह बात भी तब सामने आई जब सूरज की किरणों से दिखने वाला हिस्सा ज्यादा चमकदार दिखा। जब वैज्ञानिको द्वारा इसकी जांच हुई तो पता चला कि वायुमंडल में मौजूद हाइड्रोजन गर्म हो रहा है। क्यूंकि इसमें कोई चीज मिल रही है।
जब रेडिएशन के स्तर की जांच की गई तो पता चला कि, छल्लों से कोई चीज वायुमंडल में गिर रही है, जो उसे बाहर से गर्म कर रही है। फिर से डेटा खंगाला गया तो पता चला कि, ग्रह छल्लों से से जो बर्फीले कणों की बारिश वायुमंडल पर हो रही है, उससे गर्मी बढ़ रही है। क्योंकि ये बर्फ के कण काफी ऊर्जा के साथ शनि गृह पर गिर रहे हैं।
जब ये कण शनि के वायुमंडल से टकराते हैं, तब घर्षण से पारा बढ़ने लगता है। अब सवाल ये उठ रहा था कि, छल्लों के कण शनि के वायुमंडल पर गिर क्यों रहे हैं। इसकी वजह सौर हवा है। सूरज से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन से शनि के छल्लों में मौजूद चार्ज्ड धूल के कणों को अपने साथ बहाकर शनि के वायुमंडल की तरफ ले जाते हैं और जरा सा भी कमजोर कण है, या तो शनि ग्रह की ताकतवर ग्रैविटी के आगे रुक नहीं पाता या वायुमंडल में जाकर टकरा जाता है।
इन बर्फीले कणों की बारिश के बारे में वैज्ञानिको को पहली बार सितंबर 2017 में पता चला था, जब कैसिनी प्रोब मिशन का शनि ग्रह के वायुमंडल में जाकर अंत हुआ था। खत्म होने से पहले कैसिनी ने इस गृह पर बारिश को रिकॉर्ड किया था। लेकिन नई स्टडी में ये बात और स्पष्ट हो गई कि शनि ग्रह के छल्ले धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के लूनर एंड प्लैनेटरी लेबोरेटरी और इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के साइंटिस्ट लोफी बेन जाफेल कहते हैं कि, “शनि ग्रह के छल्लों का खात्मा पक्का है, वो धीरे-धीरे हो ही रहा है। लेकिन इस बर्फीले कणों की बारिश से ये और तेजी से खत्म हो रहे हैं। यह एटॉमिक हाइड्रोजन के प्रभाव में होने वाला एक सरप्राइज है।”