भारत ने अमेरिका से 24 MH 60R Multi-Role Helicopter की डील की थी। इनमें से 2 आ चुके हैं और नौसेना ने इनकी तैनाती भी कर दी है। अब तैयारी चल रही है इन हेलिकॉप्टर्स पर लगने वाले हथियारों के खरीद की। भारत सरकार अब इन हेलिकॉप्टर्स पर Hellfire मिसाइल और Mark-54 Anti-Submarine Torpedos लगाना चाहती है। इसके लिए करीब 2466 करोड़ रुपए की डील हो सकती है।
रोमियो हेलिकॉप्टर का असली नाम है MH 60R Multi-Role Helicopter इसके नाम में लगा R ही रोमियो का शॉर्टफॉर्म है। अभी 22 हेलिकॉप्टर और आएंगे। इनके आने में करीब 3 साल का समय लगेगा। इस हेलिकॉप्टर को INS Vikrant पर भी तैनात किया जाएगा। इसके पांच वैरिएंट भारीतय नौसेना में मौजूद हैं। इनका उपयोग निगरानी, जासूसी, VIP मूवमेंट, हमला, सबमरीन खोजना और उसे बर्बाद करने में काम आ सकता है।
रोमियो हेलिकॉप्टर को उड़ाने के लिए 3 से 4 क्रू मेंबर्स की जरूरत होती है और इनके अलावा इसमें 5 लोग बैठ सकते हैं। इसकी लंबाई 64.8 फीट है. ऊंचाई 17.23 फीट है। यह एक बार में 830 KM तक जा सकता है और अधिकतम 12 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। मैक्सिमम स्पीड 330 KM है, इस पर 2 मार्क 46 टॉरपीडो या MK 50 या MK 54s टॉरपीडो लगाए जा सकते हैं। इसके अलावा 4 से 8 AGM-114 Hellfire Missile लगाए जा सकते हैं।
अब जानिए Hellfire मिसाइल के बारे में –
Hellfire मिसाइल को ड्रोन, फाइटर जेट या हेलिकॉप्टर से दाग सकते हैं। बारूद की मात्रा बेहद कम होती है। इसमें तेज धार वाले धातु के ब्लेड्स होते हैं और इस मिसाइल को “निंजा बॉम्बऔर फ्लाइंग गिंसू” भी कहते हैं। यह 7 अलग-अलग तरह के विमानों, पेट्रोल बोट या हमवी से भी लॉन्च किये जा सकते हैं।
हेलफायर मिसाइल दागो और भूल जाओ तकनीक पर काम करती है। इस मिसाइल में 5 तरीके के वॉरहेड यानी हथियार लगाए जा सकते हैं। एंटी-टैंक हाई एक्सप्लोसिव, शेप्ड चार्ज, टैंडम एंटी-टेरर, मेटल ऑगमेंटेड चार्ज और ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन। इसकी रेंज 499 मीटर से लेकर 11.01 KM है और इसकी अधिकतम गति 1601 किलोमीटर प्रतिघंटा है।
हेलफायर मिसाइल की नाक पर कैमरे, सेंसर्स लगे होते हैं। जो विस्फोट से पहले तक रिकॉर्डिंग करते रहते हैं और साथ ही विस्फोट से पहले टारगेट की सही स्थिति का पता लगाते रहते हैं। अमेरिका ने इसी मिसाइल का उपयोग करके साल 2000 में USS कोले बमबारी में मुख्य आरोपी जमाल अहम मोहम्मद अल बदावी और अलकायदा के प्रमुख आतंकी अबु खार अल-मसरी को मारा था।
इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत ये हैं कि, मजबूत से मजबूत बंकर, बख्तरबंद गाड़ियों, टैंक और काफी मोटी कॉन्क्रीट की दीवार को फोड़कर विस्फोट करने में सक्षम होती है। आमतौर पर इसके वैरिएंट्स का वजन 45 से 49 किलोग्राम होता है। यह लेजर और राडार सीकर टेक्नोलॉजी पर उड़ती है। यानी आप इसे राडार के माध्यम से लेजर के जरिए दोनों तरीके से ऑपरेट करके टारगेट पर निशाना लगा सकते हैं।
अब जानिए मार्क-54 एंटी-सबमरीन टॉरपीडो के बारे में –
276 किलो वजनी टॉरपीडो की लंबाई 2.72 मीटर होती है। इसका वॉरहेड पॉलीमर बॉन्डेड एक्सप्लोसिव होता है, जो पनडुब्बी से टकराने पर उसके चीथड़े उड़ा देता है। इस टॉरपीडो की रेंज 9.1 किलोमीटर होती है और पानी के अंदर इसकी अधिकतम गति 74.1 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है।
यह अमेरिका की लाइटवेट हाइब्रिड टॉरपीडो है और इसका इस्तेमाल अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, नीदरलैंड्स और इंग्लैंड भी साल 2004 से लगातार कर रहे हैं। हेलिकॉप्टर से छोड़ने के बाद यह दुश्मन की पनडुब्बी को खत्म करके ही दम लेता है।