सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मानहानि (मोदी सरनेम) केस में राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर रोक लगाते हुए पूछा कि, “इस मामले में अधिकतम सजा क्यों? उन्हें कम सजा भी दी जा सकती थी, सजा 1 साल 11 महीने हो सकती थी जिससे वे डिसक्वालिफाई भी नहीं होते ।”
Rahul Gandhi
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे चली बहस में राहुल के वकील ने कहा कि, “मानहािन केस करने वाले पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं उन्होंने अपना सरनेम बदल कर यह केस किया है।” राहुल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी अपनी दलीलें देते हुए कहा कि – “शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं है। उन्होंने ये सरनेम बाद में अपनाया हुआ है।”
राहुल केस की सुनवाई जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच ने की हैं। उनका कहना हैं कि, “भाषणों में गांधी नाम लिए जाने पर किसी एक भी आदमी ने आज तक केस नहीं किया। 13 करोड़ लोगों की यह छोटी सी मोदी कम्युनिटी में कोई एकरूपता भी नहीं है। इनमें जो लोग राहुल के बयान पर खफा हैं और केस कर रहे हैं, वो भाजपा दफ्तर में हैं। जो आश्चर्य की बात है।”
राहुल गांधी ने अपनी सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने मानहानि केस में राहुल की 2 साल की सजा पर रोक से इनकार कर दिया था। उधर, सुनवाई शुरू होने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि – “आपको सजा पर रोक के लिए इस केस को खास साबित करना होगा, वरना आमतौर पर तो रूलिंग ही लागू होती है।”