राहुल गांधी की सांसदी जाने के 133 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर ही रोक लगा दी, जिसकी वजह से उनकी सांसदी गई थी। मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस में राहुल को निचली अदालतों ने 2 साल की सजा सुनाई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, ‘जब तक राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी।’ फिलहाल अभी सुनवाई की नई तारीख नहीं बताई गयी है।
कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले पर तीन सबसे जरूरी बातें कहीं –
1. कोर्ट जानना चाहती हैं कि, “ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम सजा क्यों दी? जज को फैसले में ये बात बतानी चाहिए थी। अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी को डिसक्वालिफाई नहीं किया जाता।”
2. अधिकतम सजा के चलते एक लोकसभा सीट बिना सांसद के रह जाएगी। यह सिर्फ एक व्यक्ति के अधिकार का ही मामला नहीं है, बल्कि उस सीट के वोटर्स के अधिकार से भी जुड़ा मसला है।
3. इस बात में कोई शक नहीं कि, भाषण में जो भी कहा गया, वह अच्छा नहीं था। नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए और यह राहुल गांधी का भी कर्तव्य बनता है कि, वह इसका ध्यान रखें।
अदालत के फैसले से राहुल के पक्ष में ये बातें सबसे जरूरी होंगी –
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राहुल गांधी की सांसदी फिर से बहाल की जाएगी और वो मौजूदा सत्र में शामिल हो सकेंगे।
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राहुल को बतौर सांसद मिलने वाला सरकारी घर फिर से मिल जाएगा।
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अगले साल राहुल चाहें तो चुनाव लड़ सकते हैं, बशर्ते सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला उनके पक्ष में आना चाहिए