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हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ का अहम आदेश, हुकुमचंद मिल मामले में 3 दिन में जमा करें श्रमिकों की राशि, 32 वर्षों से चल रहा था प्रकरण

Indore News 
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इंदौर की सबसे आधुनिक कही जाने वाली हुकुमचंद मिल के 32 वर्षों से चल रहे प्रकरण में सुनवाई करते हुए आज हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने अहम आदेश जारी किया है।

मजदूर यूनियन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गिरिश पटवर्धन और धीरजसिंह पंवार ने कोर्ट को बताया कि, निर्वाचन आयेाग ने मजदूरों को भुगतान के लिए अनापत्ति पत्र जारी कर दिया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड को आदेश जारी करते हुए कहा कि, 3 दिन के भीतर पूरी राशि श्रमिकों के खाते में जमा की जाए।

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इस बात की जानकारी देते हुए हरनासिंह धारीवाल और मिल अध्यक्ष नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि, “सरकार को ₹425 करोड़ रुपए जमा करने होंगे। इनमें मजदूरों के ब्याज सहित 218 करोड़ रुपए भी शामिल हैं। यह राशि 3 दिन में SBI में खाता खोलकर यह रुपए जमा की जाएगी।

आपको बता कि, हुकमचंद मिल इंदौर की उस जमाने की सबसे आधुनिक और सबसे बड़ी टैक्सटाइल मिल थी। इसकी स्थापना 21 करोड़ रुपए की पूंजी के साथ 1915 में सेठ हुकमचंद ने करवाई थी। 80 के दशक में मिल की हालत बिगड़ी और यह धीरे-धीरे बंद हो गई। जिसके बाद इसके 4 हजार से ज्यादा श्रमिक आज भी पेंशन-भत्ते की राशि के लिए भटक रहे थे। लेकिन आज हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्होंने चेन की साँस ली।

इंदौर में 18 स्टांप वेंडर के लाइसेंस निरस्त –

इंदौर में शुक्रवार को जिला पंजीयक ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 18 स्टांप वेंडरो के लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। स्टांप का फर्जीवाड़ा रोकने के लिए जिले के 375 स्टांप वेंडर के स्टॉक की जांच हुई थी, जिसमे स्टॉक रजिस्टर की जांच में भारी अनियमितताएं मिलने पर पंजीयक विभाग ने 18 स्टांप वेंडरो के लाइसेंस निरस्त कर दिए।

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