21 दिसंबर 2023 को साल की सबसे लंबी रात होगी जो करीब 16 घंटे की रहेगी जबकि, दिन सिर्फ 8 घंटे का होगा। इसे कहते हैं विंटर सोल्सटिस (Winter Soltice) ये वो समय होता है जब सूर्य की किरणें बहुत कम समय के लिए पृथ्वी पर रहती हैं और यह साल के सबसे छोटे दिन को पेश करता हैं।
![Winter Solstice 2023](https://dainikrajeevtimes.com/wp-content/uploads/2023/12/summer-and-winter-solstice-getty-1-300x147.webp)
आज के दिन सूरज से धरती की दूरी ज्यादा हो जाती है। पृथ्वी पर चांद की रौशनी देर तक रहती है और विंटर सोल्सटिस इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमते समय लगभग 23.4 डिग्री झुक जाती हैं। झुकाव के कारण प्रत्येक गोलार्द्ध को सालभर अलग-अलग मात्रा में सूर्य की रोशनी मिलती है।
सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी के चक्कर लगाने के समय 22 दिसंबर 2022 को सूर्य मकर रेखा पर लंबवत होगा। इससे धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी। इस दिन सूर्य की रोशनी का एंगल 23 डिग्री 26 मिनट 17 सेकेंड दक्षिण की तरफ होगी और अगले साल 21 मार्च सूर्य विषुवत रेखा पर होगा, तब दिन-रात बराबर समय के होंगे।
![Winter Solstice 2023](https://dainikrajeevtimes.com/wp-content/uploads/2023/12/winter-solstice-getty-2-300x169.jpg)
सूर्य की पोजिशन के नाम पर बना है सोल्सटिस शब्द –
इसे अंग्रेजी में Winter Soltice कहते हैं। सॉल्सटिस (Soltice) एक लैटिन शब्द है जो सोल्स्टिम से बना हुआ है, लैटिन शब्द सोल का अर्थ होता है सूर्य जबकि सेस्टेयर का अर्थ होता है स्थिर खड़ा रहना। इन दोनों शब्दों को मिलाकार सॉल्सटिस (Soltice) शब्द बना है जिसका अर्थ है “सूर्य का स्थिर रहना।” इसी प्राकृतिक बदलाव की वजह से ही 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है।
दूसरे ग्रहों की तरह पृथ्वी भी 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है। झुके हुए अक्ष पर पृथ्वी के घूमने से सूर्य की किरणें एक जगह अधिक और दूसरी जगह कम पड़ती हैं। बता दें, विंटर सॉल्सटिस के समय दक्षिणी गोलार्द्ध (Hemisphere) में सूर्य की रोशनी ज्यादा पड़ती है।
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