Union Carbide: भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा, जिसने 1984 में हजारों जानें ली थीं, आखिरकार हाईकोर्ट के आदेश पर 40 साल बाद साफ किया जा रहा है। पीथमपुर में आज अल सुबह करीब 4:20 बजे कड़ी सुरक्षा के साथ यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा लेकर 12 कंटेनर रामकी एनवायरो सेक्टर-2 पहुंच गए। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी से रात 9:15 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच सभी 12 कंटेनरों को रवाना किया गया।
कैसे हुआ कचरे का सफर?
जहरीले कचरे को 12 विशेष कंटेनरों में भरकर ट्रकों से पीथमपुर लाया गया। यह काफिला आठ घंटे में 250 किलोमीटर का सफर तय कर बुधवार को इंदौर बायपास होते हुए पीथमपुर पहुंचा। कोहरे और खराब मौसम के बावजूद, कचरे का सुरक्षित परिवहन सुनिश्चित किया गया।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
कचरे को भोपाल से पीथमपुर लाने के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पूरे सफर पर प्रशासन की पैनी नजर रही। इंदौर बायपास से यह काफिला दोपहर 2:40 बजे गुजरा।
कचरे का निस्तारण
पीथमपुर में स्थापित विशेष भस्मक (इन्सिनरेटर) में इस कचरे का वैज्ञानिक और पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित निस्तारण किया जा रहा है। विशेषज्ञों की टीम इस प्रक्रिया की निगरानी कर रही है।
भोपाल गैस त्रासदी की यादें
3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था। इस त्रासदी ने 5,000 से अधिक लोगों की जान ली और लाखों लोग आज भी इसके प्रभाव से जूझ रहे हैं। फैक्ट्री में बचा हुआ कचरा वर्षों तक स्थानीय लोगों के लिए खतरा बना रहा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
कचरे के निस्तारण को लेकर भोपाल और पीथमपुर के लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। एक ओर, लोग राहत महसूस कर रहे हैं कि यह कचरा अब उनके शहर से हटाया जा रहा है, तो दूसरी ओर, कुछ लोग इसके सुरक्षित निस्तारण को लेकर चिंतित हैं। मध्य प्रदेश सरकार और पर्यावरण विभाग ने आश्वासन दिया है कि कचरे का निस्तारण पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रक्रिया के अनुसार होगा, जिससे पर्यावरण और मानव जीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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