राजस्थान के उप मुख्यमंत्री व विधानसभा अध्यक्ष रहे हरिशंकर भाभड़ा का देर रात निधन हो गया। उन्होंने 96 साल की उम्र में जयपुर के रूंगटा अस्पताल में अंतिम सांस ली वे लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन पर CM भजनलाल शर्मा से लेकर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने शोक व्यक्त किया है।
राजस्थान की राजनीति में भाभड़ा बड़ा चेहरा रहे हैं। भैरोंसिंह शेखावत से लेकर वसुंधरा सरकार में वे किसी न किसी पद पर रहे। विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर भी उन्होंने अलग पहचान बनाई। राजस्थान विधानसभा का आज का भवन उन्हीं के प्रयासों की देन माना जाता है। नई बिल्डिंग के बजट के लिए वे तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत से भी टकरा गए थे। आखिर में CM को नई विधानसभा के लिए बजट की घोषणा करनी पड़ी थी।
लंबा रहा राजनीतिक करियर –
हरिशंकर भाभड़ा 1978 से लेकर 1984 तक राज्यसभा सासंद रहे। चूरू जिले की रतनगढ़ सीट से 3 बार विधायक रहे और सबसे पहले 1985 में विधायक बने। दूसरी बार 1990 से 1992 और तीसरी बार 1993 से 1998 तक विधायक रहे। भाभड़ा 16 मार्च 1990 से 21 दिसंबर 1993 और 30 दिसंबर 1993 से 5 अक्टूबर 1994 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। इसके बाद वे शेखावत सरकार में डिप्टी सीएम बने।
छात्र जीवन से ही RSS से जुड़े –
भाभड़ा छात्र जीवन से ही RSS से जुड़ गए थे। RSS के चिंतकों में दिग्गज पंडित बच्छराज व्यास के शिष्य रहे और डीडवाना में वकील के तौर पर प्रैक्टिस की। इसी दौरान वे जनसंघ से जुड़े और नागौर जिले में विपक्ष की राजनीति के शुरुआती चेहरों में थे। हालांकि, उन्हें अपने गृह जिले में कभी चुनावी सफलता नहीं मिली, लेकिन संगठन को खड़ा करने में उनकी अहम भूमिका रही।
सबसे पहले वे 1963 में भारतीय जनसंघ के नागौर जिला सचिव बने। इसके बाद नागौर के जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। वे 1966 से 1972 तक जनसंघ के कोषाध्यक्ष थे। इसके बाद 1974 में वे उपाध्यक्ष बने। उन्होंने 1981 से 1986 तक राजस्थान बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली।
किताब पढ़ने और पान खाने के शौकीन –
हरिशंकर भाभड़ा आर्थिक और वित्तीय मामलों के जानकार माने जाते थे। उन्होंने राजस्थान के वित्त मंत्री के तौर पर भैरोंसिंह शेखावत के कार्यकाल में बजट भी पेश किया था। वहीं, उनकी इसी खूबी के चलते ही वसुंधरा सरकार ने उन्हें वित्त आयोग का चेयरमैन भी बनाया था। उन्हें किताब पढ़ने और पान खाने का शौक था।
अपने अंतिम समय तक उन्होंने दोनों चीजों को नहीं छोड़ा। जब भी कोई नई किताब बाज़ार में आती तो वे उसे पढ़ते जरूर थे। वहीं रोज पान खाते थे। इसके अलावा हरिशंकर भाभड़ा को टाइम मैनेजमेंट के लिए भी जाना जाता था। इससे जुड़े कई रोचक किस्से आज भी उनके साथ काम करने वाले और उनके राजीनिति में जूनियर याद करते हैं।