Samvidhan Divas: आज देश संविधान दिवस मना रहा है. जो भारतीय संविधान के अंगीकरण की महत्वपूर्ण तारीख है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य भारतीय संविधान के महत्व और इसके सिद्धांतों के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ाना है। भारतीय संविधान, आज यानि 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया, हमारे लोकतंत्र की नींव है। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे हुआ संविधान का निर्माण और गठन?
ब्रिटिश शासन और संविधान की आवश्यकता
ब्रिटिश साम्राज्य ने 1765 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा के राजस्व और दीवानी न्याय के अधिकारों पर कब्जा किया। इसके बाद 1857 के सिपाही विद्रोह ने भारतीयों में स्वतंत्रता की ज्वाला को प्रज्वलित किया। हालांकि, ब्रिटिश शासन ने भारत में स्वतंत्रता संग्राम के दबाव को नजरअंदाज किया, लेकिन 1930 आते-आते भारतीयों ने पूर्ण स्वराज की मांग तेज कर दी थी।
संविधान निर्माण की प्रक्रिया
भारत का संविधान बनाना कोई आसान कार्य नहीं था। भारत की संविधान सभा का पहला उल्लेख भारत शासन अधिनियम 1919 में हुआ था। महात्मा गांधी ने 1922 में संविधान सभा की बात की थी। 1928 में मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई, जिसने भारतीय संविधान के सिद्धांतों को निर्धारित किया। 1930 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की मांग की, और 1936 में लखनऊ अधिवेशन में संविधान सभा से संविधान निर्माण की मांग की गई।
कैबिनेट मिशन और संविधान सभा का गठन
1940 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दबाव को स्वीकार करते हुए संविधान निर्माण की बात मानी, जिसे अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है। 1946 में, ब्रिटिश सरकार ने तीन सदस्यीय कैबिनेट मिशन भारत भेजा, जो भारत के संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए था। इसके बाद संविधान सभा का गठन हुआ, जिसमें महात्मा गांधी के अलावा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मुस्लिम लीग और अन्य दलों के सदस्य शामिल थे।
संविधान निर्माण और डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई, जिसमें 200 सदस्यों ने हिस्सा लिया। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सभा का अध्यक्ष और डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माण समिति का अध्यक्ष चुना गया। डॉ. अंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान तैयार किया गया, जो देश के विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और जातीय समूहों को समानता का अधिकार प्रदान करता था।
संविधान का अंगीकरण और लागू होना
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया गया, और 26 जनवरी 1950 को यह पूरी तरह से लागू हुआ। इस दिन भारतीय गणराज्य की नींव रखी गई, और भारतीय नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों का स्पष्ट रूप से निर्धारण किया गया।
संविधान दिवस का महत्व
भारतीय संविधान के महत्व को समझने और उसे मान्यता देने का दिन है। यह दिन हमें संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों और स्वतंत्रताओं का सम्मान करने की प्रेरणा देता है। संविधान दिवस का उद्देश्य भारतीयों को उनके संविधान के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराना और लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
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