Union Carbide: लोगों की गुहार “हमें ज़हर नहीं चाहिए।” हम अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं। क्या हमारी सांसों की कीमत कचरे से कम है?” यह सवाल है पीथमपुर की उन हजारों आँखों का, जो डर, गुस्से और असहायता से भरी हैं।
बीते 24 घंटे ने इंदौर और धार के इस औद्योगिक इलाके को उथल-पुथल में डाल दिया। यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के प्रस्ताव ने यहाँ के लोगों को सड़कों पर ला दिया। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएँ—सबने अपनी आवाज़ बुलंद की। कुछ लोगों ने तो आत्मदाह का प्रयास तक कर डाला, और यह घटना एक भावनात्मक झंझावात में बदल गई।
प्रदर्शन के बीच बीजेपी और कांग्रेस, दोनों दलों ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की। लेकिन जनता के गुस्से का केंद्र बने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव। लोग उनसे सीधा सवाल कर रहे थे: “क्या हमारे जीवन की कीमत कुछ भी नहीं?” विरोध बढ़ने पर उन्होंने घोषणा की कि फिलहाल कचरा नहीं जलाया जाएगा और इस पर समीक्षा की जाएगी।
धार पुलिस अधीक्षक ने दी चेतावनी
डॉक्टरों और विशेषज्ञों का मानना है कि यूनियन कार्बाइड का कचरा बेहद खतरनाक है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर यह कचरा जलाया गया, तो इंदौर के हर आठवें व्यक्ति को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा रहेगा। दूसरी ओर, सरकारी एजेंसियों का दावा है कि कचरा जलाना सुरक्षित है, क्योंकि फैक्ट्री सभी मानकों पर खरी उतरती है।
पीथमपुर की सड़कों पर जुटी भीड़ के चेहरे पढ़िए। उनमें डर और चिंता साफ झलकती है। लोग कह रहे हैं कि “हम यहाँ पीढ़ियों से रह रहे हैं। हम अपने बच्चों को कैसे यह जहरीला हवा और पानी दे सकते हैं?”
2015 में कोर्ट ने कचरे को जलाने का आदेश दिया
2015 में कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का आदेश दिया था। लेकिन सालों तक यह मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। अब अचानक इस फैसले को लागू करने की कोशिश ने जनता को गुस्से में भर दिया। लोगों के भारी विरोध और हंगामे के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कचरे को पीथमपुर में न जलाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि इस पर फिर से समीक्षा की जाएगी। लेकिन यह आश्वासन क्या स्थायी समाधान है?
पीथमपुर के लोगों का कहना है कि यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। “हम केवल आश्वासनों से संतुष्ट नहीं होंगे। हम चाहते हैं कि सरकार इस जहरीले कचरे को हमारे शहर से दूर रखे।” यह लड़ाई केवल पीथमपुर की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की है, जो अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए चिंतित है। सरकार और प्रशासन को यह समझना होगा कि जनता की जान किसी भी कचरे से ज्यादा कीमती है।
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