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पेपर लीक मामले में बड़ा खुलासा, SOG टीम ने मास्टरमाइंड के दोस्त RPSC मेंबर बाबूलाल कटारा, उसके भांजे और ड्राइवर को हिरासत में लिया

Rajasthan Live Update
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राजस्थान की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप(SOG) ने सेकेंड ग्रेड शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले में बड़ी कार्रवाई की है। SOG ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के मेंबर बाबूलाल कटारा को अजमेर स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया हैं। इसके साथ ही उनके भांजे विजय कटारा और ड्राइवर गोपाल सिंह को भी गिरफ्तार किया गया है। अब तीनों से पेपर लीक मामले में पूछताछ की जाएगी कि कैसे इन्होंने एग्जाम के पेपर शेर सिंह मीणा तक पहुंचाए।

RPSC मेंबर से 4 साल पहले दोस्ती की –
कुछ दिन पहले ही पेपर बेचने वाला शेर सिंह मीणा गिरफ्तार हुआ था। शेरसिंह मीणा ने भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक करने के लिए RPSC मेंबर बाबूलाल कटारा से संपर्क किया। उस समय बाबूलाल कटारा उदयपुर के आदिम जाति शोध संस्थान के निदेशक पद पर कार्यरत थे।(Rajasthan Live Update)
शेरसिंह मीणा जनता था कि, बाबूलाल कटारा आने वाले समय में RPSC में प्रमोट होकर मेंबर बन सकते है। RPSC में सेंध लगाने के लिए वह बाबूलाल कटारा से लगातार संपर्क में रहा और इस दौरान 15 नवंबर 2020 को बाबूलाल कटारा RPSC के मेंबर बने। इसके बाद दोनों की नजदीकी और ज्यादा बढ़ गई।

ग्रेड सेकेंड परीक्षा की तैयारियों के समय कटारा के संपर्क में था –
शेरसिंह मीणा ग्रेड सेकेंड भर्ती परीक्षा की तैयारियों के समय कटारा से लगातार संपर्क में रहा और इस दौरान वह भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने का प्रयास कर रहा था। भर्ती परीक्षा का पेपर आते ही उसने पेपर करीब 1 करोड़ रुपए में भूपेंद्र सारण को बेच दिया था।(Rajasthan Live Update)
इसके बाद भूपेंद्र सारण ने 20 लाख रुपए का अपना कमीशन रखकर पेपर सुरेश ढाका को बेचा और सुरेश ढाका ने पेपर अपने साले सुरेश विश्नोई को दिया था। सुरेश विश्नोई ने वह पेपर अभ्यर्थियों को 5 से 8 लाख रुपए में बेचा था।
कटारा की गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का ट्वीट…
कौन है बाबूलाल कटारा… ?
डूंगरपुर के बाबूलाल कटारा ने 15 अक्टूबर 2020 में राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के मेंबर का कार्यभार संभाला था। बाबूलाल कटारा का चयन राजस्थान लोक सेवा आयोग के सांख्यिकी अधिकारी, आयोजना विभाग के पद पर हुआ था।
इसके बाद उसने जिला सांख्यिकी अधिकारी डूंगरपुर और बाड़मेर में काम किया था। साल 1994 से 2005 तक भीम, राजसमंद, खैरवाडा, डूंगरपुर, सागवाडा, सुमेरपुर और उदयपुर में भी काम किया। वर्ष 2013 में सचिवालय में आयोजना विभाग संयुक्त निदेशक रहे और निदेशक, सांख्यिकी के पद पर पदोन्नति के बाद उदयपुर आदिम जाति शोध संस्थान निदेशक के पद पर भी कार्य किया। इसके बाद उसका चयन RPSC के मेंबर के रूप में हुआ था।
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