सूर्य ग्रहण के बाद अब वैशाख मास की पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, यह चंद्र ग्रहण 5 मई के दिन शुक्रवार को लगेगा। ज्योतिषविद के अनुसार, चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लगेगा और यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
क्या होता है उपच्छाया चंद्र ग्रहण?
5 मई को लगने वाला ग्रहण वास्तव में एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है। हर चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य (Penumbra) कहा जाता है और अक्सर चंद्रमा धरती की उपच्छाया में प्रवेश कर वहीं से बाहर निकल जाता है। जिससे उसका स्वरूप धुंधला सा दिखाई देने लगता है, इसे ही उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। उपच्छाया चंद्र ग्रहण को धार्मिक महत्व नहीं दिया गया है, इसलिए इसमें सूतक काल भी मान्य नहीं होता है।
कितने बजे लगेगा ग्रहण ?
यह चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार, रात 8:44 बजे से लेकर मध्य रात्रि करीब 1:02 मिनट तक रहेगा। इस चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 4 घंटे 15 मिनट की होगी।
कहां-कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण ?
साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण भारत को छोड़कर यूरोप, मध्य एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, अटलांटिक, हिंद महासागर और अंटार्कटिका जैसी जगहों पर देखा जा सकेगा। आपको बता दें कि, ग्रहण काल से कुछ घंटों पहले सूतक काल लग जाता है। हिंदू धर्म में सूतक काल को विशेष महत्व दिया गया है। क्यूंकि सूतक काल में पूजा-पाठ और शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं। चूंकि 5 मई को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
20 अप्रैल को सूर्य ग्रहण मेष राशि में लगा था और सूर्य की सप्तम दृष्टि तुला राशि पर पड़ रही थी। अब चंद्र ग्रहण तुला राशि में लग रहा है और यहां चंद्रमा-केतु की युति भी बन रही है। ऐसे में चंद्रमा की पहली दृष्टि मेष राशि पर होगी, इसलिए मेष और तुला राशि के जातकों को इस चंद्र ग्रहण में विशेष सावधानी बरतनी होगी। साथ ही जिन लोगों का जन्म स्वाती नक्षत्र में हुआ है, उन्हें भी इस ग्रहण से सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।