Search
Close this search box.

BREAKING NEWS

“धर्मा प्रोडक्शन” की फ़िल्म के लिए मुंबई की सुप्रसिद्ध कास्टिंग एजेंसी ‘जोगी फ़िल्म कास्टिंग’ इन्दौर में करेगी ऑडिशनमुख्यमंत्री डॉ यादव ने दिखायी संवेदनशीलता, काफिला रुकवाकर पीड़िता की सुनी समस्यामप्र के सबसे बड़े बिना कर के विकास बजट पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को मंत्री राकेश शुक्ला ने दिया धन्यवाद……मध्यप्रदेश का धार्मिक मुख्यालय उज्जैन होगाअनाथ आश्रम में हो रहे घोर अनियमितताओं और गंभीर आरोपों की जांच की मांग: कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव ने उठाए कई सवालGolden Temple में लगे खालिस्तानी नारे.इंदौर में नोटा के नंबर 1 आने पर कांग्रेस ने केक काटकर मनाया जश्न .सलमान खान पर हमले की नाकाम साजिश.कीर्तन कर पहुंचे वोट डालने.सेना के जवानों ने डाला वोट.

SC का तलाक को लेकर अहम फैसला, पति-पत्नी को अब नहीं करना होगा 6 महीने का इंतजार, सुलह की गुंजाइश नहीं बची तो मंजूर होगा तलाक

Breaking News
Breaking News

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

भारतीय सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने सोमवार को तलाक को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि, अगर पति-पत्नी के रिश्ते टूट चुके हों और सुलह की कोई गुंजाइश न बची हो, तो वह भारतीय संविधान के आर्टिकल 142 के तहत तलाक को मंजूरी दे सकता है। इसके लिए अब दंपति को 6 महीने का इंतजार अनिवार्य नहीं होगा।
Supreme Court's Decision
Supreme Court’s Decision
कोर्ट ने कहा कि, उसने वे फैक्टर्स तय किए हैं, जिनके आधार पर शादी को सुलह की संभावना से परे माना जा सकेगा। इसके साथ ही कोर्ट यह भी सुनिश्चित करेगा कि, पति-पत्नी के बीच बराबरी कैसे रहेगी और इसमें मैंटेनेंस, एलिमोनी और बच्चों की कस्टडी भी शामिल है। यह फैसला जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस जेके माहेश्वरी की संविधान पीठ ने सुनाया हैं।(Breaking News)
क्यों भेजा गया था संविधान पीठ को ये मामला –
इस मुद्दे को एक संविधान पीठ को यह विचार करने के लिए भेजा गया था कि, ‘क्या हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13B के तहत आपसी सहमति से तलाक की प्रतीक्षा अवधि (वेटिंग पीरियड) को माफ किया जा सकता है।” हालांकि खंडपीठ ने यह भी विचार करने का फैसला किया कि, “क्या शादी के सुलह की गुंजाइश ही ना बची हो तो विवाह को खत्म कैसे किया जा सकता है।”(Breaking News)
संविधान पीठ के पास कब भेजा गया था यह मामला –
डिवीजन बेंच ने 29 जून 2016 में पांच जजों की संविधान पीठ को यह मामला रेफर किया था। पांच याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद बेंच ने 29 सितंबर, 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि, सामाजिक परिवर्तन में ‘थोड़ा समय’ लगता है और कभी-कभी कानून लाना आसान होता है, लेकिन समाज को इसके साथ बदलने के लिए राजी करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन अब यह फैसला सुनिश्चित किया जा चूका हैं।
MORE NEWS>>>इंदौर से की जा रही सोने की तस्करी, महाकाल ट्रेवल्स की बस से निकला 38 लाख का सोना, ड्राइवर और क्लीनर हिरासत में

Leave a Comment