University of British Columbia के एस्ट्रोनॉमर Pro. Brett Gladman ने दवा किया हैं कि, “सौर मंडल में लगातार चल रही सबसे ज्यादा चंद्रमा की रेस में शनि ग्रह नंबर 1 के पायदान पर पहुँच गया हैं। इस साल 62 नए चंद्रमाओं को अपने साथ शामिल करके शनि ने अपनी कुर्सी काबिज की हैं। अब शनि ग्रह के पास कुल 145 चंद्रमा हैं और इतने चंद्रमा अभी पुरे सौरमंडल में किसी और ग्रह के पास नहीं हैं।”
International Astronomical Union ने बताया कि, इस फरवरी के महीने में बृहस्पति के आसपास 12 नए चंद्रमा खोजे गए थे। तब उसके चंद्रमाओं की संख्या बढ़कर 95 हो गई थी और इसी के साथ बृहस्पति ने शनि गृह से सबसे ज्यादा चन्द्रमा वाला खिताब छीन लिया था। लेकिन शनि ने उससे ये ख़िताब छीन लिया।
प्रो. ब्रेट ने बताया कि, इन चंद्रमाओं का नामकरण जल्द किया जाएगा। कुछ चंद्रमाओं का नाम कनाडा के इनउइट देवताओं के नाम पर रखा जाएगा। इसके लिए (IAU) कुछ इनउइट विद्वानों से संपर्क किया है। ऐसा माना जाता है कि, शनि ग्रह के चारों तरफ कोई बड़ा चंद्रमा रहा होगा, जिसके टूटने से इतने ढेर सारे चंद्रमा बन गए।
ये सारे शनि ग्रह के ऑर्बिट में अलग-अलग दिशाओं में फैल गए। हो सकता है कि, भविष्य में बृहस्पति ग्रह के चारों तरफ और चंद्रमाओं की खोज हो तो वह शनि के नजदीक पहुंच जाए. हालांकि इसमें थोड़ा समय लगेगा। अगर कायदे से देखा जाए तो शनि ग्रह के पास बृहस्पति की तुलना में तीन गुना ज्यादा चंद्रमा हैं। लेकिन अभी सबकी गिनती और खोज नहीं हो पाई है।
यह वैज्ञानिकों की एक गणना है। पिछले कुछ दशकों में चंद्रमाओं की संख्या बढ़ी है, क्योंकि हमने कई तरह के ताकतवर टेलिस्कोप बनाए हैं और स्पेस में ऑब्जरवेटरी सेट की है। जिनकी वजह से चंद्रमाओं को खोजना आसान होता गया है। इन्हें खोजने के लिए आजकल शिफ्ट और स्टैक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
शिफ्ट और स्टैक तकनीक की वजह से धुंधले और छोटे चंद्रमाओं को भी आसानी से खोजा जा सकता है। क्योंकि ये चंद्रमा कई बार ग्रहों की ऑर्बिट में काफी दूर और दूसरी दिशा में होते हैं, इसलिए दिखते नहीं है। दिखने के बाद उन्हें चंद्रमा घोषित करने में काफी ज्यादा रिसर्च करना पड़ता है।
वैज्ञानिकों ने चंद्रमाओं की खोज करने के लिए हवाई स्थित कनाडा-फ्रांस-हवाई टेलिस्कोप का इस्तेमाल किया है। इस टेलिस्कोप के द्वारा 2019 से 2021 तक जो डेटा जुटाया गया था, उससे चंद्रमाओं की गणना की गई। इनमें से कुछ चंद्रमाओं का आकार तो बेहद ही छोटा है और कुछ का व्यास मात्र 2.5 किलोमीटर का ही है।