सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, ऐसे में रीवा के महामृत्युंजय मंदिर को लेकर एक मान्यता यह है कि, इस पवित्र महीने में जो भी यहां आता है उसे असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है और यहां सावन के महीने में पूजा करने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है।
![Rewa Mahamrityunjay Temple](https://dainikrajeevtimes.com/wp-content/uploads/2023/07/5-300x233.png)
इस मंदिर में स्थापित स्वयंभू महामृत्युंजय को जल चढ़ाने से भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और इस मंदिर की विशेषता यह है कि, यहां शिवलिंग की बनावट दूसरे मंदिरों से बिल्कुल ही अलग है। इस मंदिर में 1,001 छिद्रों वाला शिवलिंग है और इस तरह का शिवलिंग आपको विश्व के अन्य किसी भी मंदिर में देखने को नहीं मिलेगा।
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दिन में तीन बार होती है महादेव की पूजा –
स्वयंभू महामृत्युंजय को किसी भी वक्त याद किया जा सकता है, लेकिन इनका दिन में तीन बार पूजा और अभिषेक किया जाता है। सूरज की किरणें निकलते ही सुबह साढ़े 5 बजे, दोपहर 12 बजे मंदिर बंद होते समय और शाम को आरती के समय। इन्हें बेलपत्र, नारियल, धतूरे, मदार के फूल और पत्ते चढाकर दूध-दही और शहद अर्पित कर महाआरती की जाती है।
![Rewa Mahamrityunjay Temple](https://dainikrajeevtimes.com/wp-content/uploads/2023/07/Untitled-design-300x169.png)
मंदिर में अलौकिक शक्ति वाले शिवलिंग की प्रतिमा –
मंदिर के निर्माण और मूर्ति स्थापना का कोई लिखित इतिहास नहीं है, लेकिन महामृत्युंजय मंत्र का नाम कई ग्रंथ और पुराणों में मिलता है। महामृत्युंजय मंदिर में अलौकिक शक्ति वाले शिवलिंग की प्रतिमा मौजूद है। यह शिवलिंग अपने आप में ही खास हैं और ऐसा माना जाता है कि, लगभग 500 साल पहले बघेल रियासत के महाराज ने यहां पर महामृत्युंजय की अलौकिक शक्ति को महसूस किया था और फिर यहां पर मंदिर की स्थापना के साथ ही रियासत के किले की स्थापना भी करवाई गई थी।
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महामृत्युंजय जाप-रुद्राभिषेक से मिलती रोगों से मुक्ति –
शिव पुराण के अनुसार, देवों के देव महादेव की आराधना करते हुए महर्षि मार्कण्डये ने महा संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की थी। तब से महामृत्युंजय का जाप, रुद्राभिषेक, रूद्र यज्ञ और भजन-पूजन से राजभय विद्रोह, महामारी रोग और असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है। इसके कई उदाहरण यहां देखने को मिलते हैं।
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