राज्यसभा में केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सर्विस बिल पेश किया तो इसके विरोध में कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि, “ये बिल संघीय ढांचे के खिलाफ बना है। इसके बाद मुख्यमंत्री दो सचिवों के नीचे आएगा यानी सचिव फैसला करेगा और मुख्यमंत्री सिर्फ देखेगा।”
सिंघवी ने आगे कहा कि – “सभी बोर्डों, कमेटियों के प्रमुख सुपर-सीएम यानी गृह मंत्रालय से ही बनाए जाएंगे। क्या निचले पायदान से लेकर ऊपर तक अफसर के लिए नीतियां आप बनाना चाहते है..?
सिंघवी बोले- बिल का मकसद डर पैदा करना है –
“इस बिल का मकसद डर पैदा करना है। जो लोग इसका समर्थन कर रहे हैं या समर्थन करने की घोषणा कर चुके हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए कि, सबका नंबर आ सकता है। लालकृष्ण आडवाणी जब होम मिनिस्टर थे, तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए बिल लाए थे। जिसके बाद भाजपा ने पूर्ण राज्य के मुद्दे पर दिल्ली के दो चुनाव जीते थे।” आज हम यह मांग कर रहे हैं कि, “संविधान ने जो अधिकार दिल्ली को दिए हैं, उन्हें छीना ना जाए।”
भाजपा बोली – देश ने 10 साल तक सुपर-पीएम देखा है !
सिंघवी के सुपर-सीएम वाले बयान पर भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि, “देश ने 10 सालों तक सुपर-पीएम देखा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, संसद को दिल्ली पर कानून बनाने का अधिकार है।” साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि – “AAP ने पंजाब और दिल्ली से कांग्रेस को साफ कर दिया, गुजरात में भी उनके वोट हाफ कर दिया फिर भी कांग्रेस ने इनको माफ कर दिया और उनका पक्ष ले रही हैं।”