हमारे हिन्दू धर्म में पुरुषोत्तम मास यानी अधिकमास की अमावस्या पितृ शांति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, अधिकमास की यह अमावस्या 3 साल में एक बार आती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान-दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और इसी दिन हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं।
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अधिकमास अमावस्या शुभ मुहूर्त –
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अधिकमास की अमावस्या श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तिथि को आएगी। अमावस्या 15 अगस्त को दिन में 12 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 16 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 7 मिनट पर होगा। जिसका व्रत 16 अगस्त, बुधवार को रखा जाएगा। साथ ही इस दिन वरीयान योग का निर्माण भी होने जा रहा है, जिसका समय 15 अगस्त को शाम 5 बजकर 33 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 16 अगस्त को शाम 6 बजकर 31 मिनट पर होगा।
अधिकमास अमावस्या पूजन विधि –
सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व है, इसलिए गंगा स्नान जरूर करें। अगर आप स्नान करने के लिए गंगाजी नहीं जा पा रहे हैं, तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और फिर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें। आषाढ़ अमावस्या के दिन अपनी योग्यता के अनुसार दान जरूर देना चाहिए। वहीँ, पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि भी कर सकते हैं।
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