शहर में बारिश के दिनों में होने वाले जलजमाव और बदहाल ड्रेनेज व्यवस्था को लेकर दायर हुई जनहित याचिका पर नगर निगम ने लंबे समय से कोर्ट में कोई जवाब ही पेश नहीं किया। अब तक 9 बार हाई कोर्ट के समक्ष याचिका लग चुकी है, लेकिन जिस निगम में वकीलों की फौज है, उसके वकील खाली हाथ कोर्ट के समक्ष हाजिर हो रहे हैं। लेकिन मंगलवार काे निगम का कोर्ट के समक्ष निरुत्तर हाजिर होना उसे भारी पड़ गया।
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दरअसल, 3 साल पहले लगाई गई यहा याचिका का निगम द्वारा कोर्ट में जवाब ही पेश नहीं किया जा रहा हैं। जिसके चलते चीफ जस्टिस रवि मलिमठ की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच ने इस कृत्य के लिए निगमायुक्त पर 25 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। चीफ जस्टिस ने 2 साल से जवाब पेश नहीं करने और 9 बार अर्जी लगने पर जवाब के लिए समय मांगने पर कड़ी फटकार भी लगाई है। उन्होंने मौखिक रूप से कहा कि, “यह क्या लापरवाही है। जनहित से जुड़ी समस्या पर ही जवाब नहीं दिया जा रहा है।” कोर्ट ने सख्ती के साथ 2 सप्ताह में जवाब पेश करने के आदेश नगर निगम को दिए हैं।
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