इस मिशन के जरिए ISRO सूर्य की परतों की (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) गतिशीलता का अध्ययन करेगा और इसके अलावा क्रोमोस्फेरिक-कोरोनल हीटिंग के साथ आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी के बारे में पता लगाने की कोशिश की जाएगी। इसके अलावा सूर्य से कण गतिशीलता के अध्ययन के लिए डेटा प्रदान करने वाले इन-सीटू पार्टिकल और प्लाज्मा वातावरण की स्टडी की जाएगी।
इस मिशन में सौर कोरोना और उसके तापन तंत्र की भौतिकी का अध्ययन किया जाएगा। Aditya-L1 के उपकरणों को सौर वातावरण, मुख्य रूप से क्रोमोस्फीयर और कोरोना का निरीक्षण करने के लिए ट्यून किया गया है, इन-सीटू उपकरण एल1 पर स्थानीय वातावरण का निरीक्षण करेंगे।
ISRO ने कहा हैं कि, L1 बिंदु के आसपास हेलो कक्षा में रखे गए सैटेलाइट को सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देखने का बड़ा फायदा होता है। इससे रियल टाइम में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का अधिक लाभ मिलेगा। विशेष तौर पर सुविधाजनक बिंदु L1 का इस्तेमाल करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखेंगे और बाकी तीन पेलोड L1 पर कणों और क्षेत्रों का इन-सीटू अध्ययन करेंगे।
इसरो के आदित्य एल1 पेलोड के सूट से कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की उम्मीद है।
इससे पहले कौन-कौन गया हैं सूर्य पर –
भारत पहली बार सूरज पर रिसर्च करने जा रहा है। लेकिन अब तक सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं, इन मिशन को पूरा करने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी जैसे बड़े नाम शामिल है। सबसे ज्यादा मिशन NASA ने भेजे हैं।