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कब है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और स्तुतियां

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हिन्दू ग्रथों के अनुसार, पृथ्वी पर कंस के बढ़ रहे अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान श्रीहरी विष्णु ने अष्टमी के दिन देवकी और वासुदेव के पुत्र कृष्ण के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था। इस बार श्री कृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

Janmashtami 2023
Janmashtami 2023

भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि यानी 12 बजे रात को मथुरा में कंस की कारागृह (जेल) में हुआ था। भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह त्योहार हर साल पूरे देश में पूर्ण हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और इस दिन भक्त व्रती रहकर पूरे नियम और संयम से भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।

इस बार भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 06 सितंबर को दोपहर 03.38 आरम्भ होगी और इसका समापन 7 सितंबर को शाम में 04.14 बजे होगा। इस दौरान रोहिणी नक्षत्र पूरी रात्रि विद्यमान रहेगा और ज्योतिषविदों की मानें तो इस साल गृहस्थ लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे। जबकि वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे। दरअसल, वैष्णव संप्रदाय के लोग जैसे कि, साधू, संत और सन्यासियों में कृष्ण की पूजा का अलग विधान है। हालाँकि दही-हांडी उत्सव भी इसी दिन मनाया जाएगा।

Janmashtami 2023
Janmashtami 2023

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और रोहिणी नक्षत्र –

रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत 06 सितंबर को सुबह 09 बजकर 20 मिनट से होगा जिसका इसका अंत 07 सितंबर को सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर होगा। जिससे जन्माष्टमी की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त भी 6 सितंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। जिस कारण पूजा की अवधि 46 मिनट की ही रहेगी।

Janmashtami 2023
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जन्माष्टमी की पूजन विधि –

जन्माष्टमी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद साफ कपड़े पहन कर घर के मंदिर में दीप जलाएं और सभी देवी-देवताओं की पूजा करें। साथ ही लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें, उन्हें भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं। जन्माष्टमी पर रात्रि पूजन का विशेष महत्व होता है क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में ही हुआ था। रात्रि पूजन के लिए श्री कृष्ण के लिए झूला सजाएं और इसके बाद श्रीकृष्ण को पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक करें और फिर उनका श्रृंगार करें। इस दिन श्रीकृष्ण का बांसुरी, मोर मुकुट, वैजयंती माला कुंडल, पाजेब, तुलसी दल आदि से श्रृंगार किया जाता है और इसके साथ ही पूजा में उन्हें मक्खन, मिठाई, मेवे,मिश्री और धनिया की पंजीरी का भोग भी लगाया जाता है।

Janmashtami 2023
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मंत्र और स्तुतियां –

वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण का नाम ही एक महामंत्र है, इसका भी जप किया जा सकता है। इसके अलावा आप “हरे कृष्ण” महामंत्र का भी जप कर सकते हैं और जीवन में प्रेम और आनंद के लिए “मधुराष्टक” का पाठ करें। यदि आप श्री कृष्ण को अपने गुरु रूप में प्राप्त करना चाहते है तो, श्रीमदभगवदगीता का पाठ करें और अपनी समस्त कामनाओं को पूर्ण करने के लिए “गोपाल सहस्त्रनाम” का पाठ भी कर सकते हैं।

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