पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने की घोषणा कर झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी है। दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद, बुधवार को रांची लौटने पर उन्होंने JMM के साथ-साथ मंत्री और विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया। चंपाई का भाजपा में शामिल होना राज्य में सियासी समीकरणों में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
चंपाई सोरेन, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रमुख आदिवासी नेता के रूप में जाने जाते हैं, ने अपनी पांच दशकों की राजनीतिक यात्रा के दौरान हमेशा JMM के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाए रखा। झारखंड आंदोलन के समय से ही वे JMM के प्रमुख स्तंभों में से रहे हैं और जब भी JMM सत्ता में आई, उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कोल्हान क्षेत्र के 14 विधानसभा सीटों में से 13 सीटें वर्तमान में इंडिया गठबंधन के पास हैं, जिसमें JMM का दबदबा है। भाजपा, जो पिछले चुनाव में इन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी, चंपाई सोरेन के शामिल होने से इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की उम्मीद कर रही है। हालांकि, चंपाई के भाजपा में जाने से यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपने आदिवासी जनाधार को कितनी प्रभावी ढंग से भाजपा के पक्ष में मोड़ पाते हैं।
JMM, जो इस टूट को हल्के में नहीं ले रही, अपनी रणनीति को और धारदार बनाने का प्रयास कर रही है। चंपाई सोरेन का JMM से अलग होना, पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। अब चंपाई और JMM दोनों के सामने अपनी-अपनी प्रतिष्ठा और प्रभाव को बनाए रखने की बड़ी चुनौती है।