भारतीय नौसेना (Indian Navy) को बहुत जल्द खतरनाक स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर मिल जाएगा। इस विध्वंसक ने समुद्री ट्रायल शुरू कर दिया है और यह इस साल के आखिरी महीनों में नौसेना में शामिल हो जाएगा। इसका नाम द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई Imphal की लड़ाई के शहीदों की याद में INS Imphal रखा गया है।
यह पहला जंगी जहाज है जिसका नाम उत्तर-पूर्व के किसी राज्य के नाम पर रखा गया है। इसका डिस्प्लेसमेंट 7400 टन है, 535 फीट लंबे इस जंगी जहाज का बीम 57 फीट का है और यह एक डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाला युद्धपोत है। समुद्र में इसकी अधिकतम गति 56 किलोमीटर प्रतिघंटा है। अगर यह 33 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलता है तो इसकी रेंज 7400 किलोमीटर है।
यह जहाज 45 दिनों तक लगातार समुद्र में तैनात रह सकता है और इस युद्धपोत पर 50 अधिकारी और 250 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं। इसमें चार कवच डिकॉय लॉन्चर्स लगे हैं, इसके अलावा बेहतरीन रडार और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम लगा है।
इसमें 32 बराक 8 मिसाइलें, 16 ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल, 4 टॉरपीडो ट्यूब्स, 2 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स, 7 प्रकार के गन्स लगे होते हैं। साथ ही ध्रुव और सी किंग हेलिकॉप्टर भी तैनात हैं। ये ऐसे युद्धपोत हैं, जिनसे लगातार ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया जा रहा है।
इसके अलावा इस युद्धपोत पर 21 इंच के 4 टॉरपीडो ट्यूब्स, 2 आरबीयू-6000 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स भी लगाए गए हैं। इसमें सुरक्षा के लिए DRDO द्वारा बनाया गया इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर शक्ति EW suite और कवच चैफ सिस्टम लगा है।
इस जहाज में 32 एंटी-एयर बराक मिसाइलें तैनात की जा सकती है, जिनकी रेंज 100 KM है। या फिर इसकी जगह बराक 8ER मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं, जिसकी रेंज 150 KM है। इसमें 16 एंटी-शिप या लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइलें लगा सकते हैं और इसके अलावा एक 76 mm की OTO मेराला तोप, 4 AK-603 CIWS गन लगी है।
इस पर दो वेस्टलैंड सी-किंग या HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर ले जाए जा सकते हैं। इस युद्धपोत में स्टेट ऑफ द आर्ट सेंसर लगे हैं, जो दुश्मन के हथियारों का आसानी से पता कर सकते हैं। ये सेंसर्स ऐसे डेक में लगाए गए हैं, जिन्हें दुश्मन देख नहीं सकता और इसमें बैटल डैमेज कंट्रोल सिस्टम्स भी लगाया गया हैं। यानी युद्ध के दौरान अगर जहाज के किसी हिस्से में नुकसान हो तो पूरा युद्धपोत काम करना बंद न करे।