Bijli Bill: बिजली कंपनियां बार-बार बिजली के दाम बढ़ाने की दुहाई देती हैं, लेकिन अभी तक बिजली के दाम स्थिर बने हुए थे। हालांकि अब यह स्थिरता ज्यादा दिन की नजर नहीं आती। आपकी जेब पर बिजली कंपनियां अतिरिक्त बोझ डालने जा रही हैं। किस तरह से बिजली कंपनियां आपकी जेब से पैसा निकालने की तैयारी कर रही हैं और आखिर क्यों मध्यप्रदेश के लोगों को महंगी बिजली मिल रही है? अब मध्यप्रदेश में बिजली महंगी हो जाएगी।
बढ़ते खर्च से बिजली कंपनियां का लाभ कम
मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियां बिजली दरों में बढ़ोतरी की तैयारी कर रही हैं। कंपनियों ने राज्य विद्युत नियामक आयोग में टैरिफ याचिका दायर की है, जिसमें कई प्रस्तावों का उल्लेख किया गया है, जो मध्यमवर्गीय उपभोक्ताओं पर भारी पड़ सकते हैं। खासकर, 151 से 300 यूनिट तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को यह बढ़ी हुई दरों का सामना करना पड़ेगा। कंपनियों ने 151 से 300 यूनिट बिजली खपत के स्लैब को खत्म करने की सिफारिश की है।
अगर यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो प्रदेश के 25 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं को ऊंची दरों पर बिजली बिल चुकाना पड़ेगा। इन उपभोक्ताओं को 500 यूनिट या उससे ज्यादा खपत करने वाले उपभोक्ताओं जैसी दर चुकानी होगी। मध्यप्रदेश, जहां बिजली की उपलब्धता मांग से ज्यादा है, देश के उन राज्यों में से एक है जहां बिजली की दरें सबसे ज्यादा हैं। बावजूद इसके, बढ़ते खर्च और ट्रांसमिशन लॉस के कारण बिजली कंपनियां कभी भी लाभ में नहीं आ पाईं।
बिजली कंपनियों ने की बढ़ोतरी की मांग
बिजली कंपनियों ने 4,107 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला देते हुए 2025-26 में बिजली दरों में 7.52% की बढ़ोतरी की मांग की है। राज्य में पहले से ही बिजली दरें अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा हैं। उदाहरण के तौर पर, बरगी बांध से 50 पैसे प्रति यूनिट, रिलायंस पावर से 1.60 रुपये प्रति यूनिट, और इंदिरा सागर तथा सरदार सरोवर बांध से कम दरों पर बिजली मिलती है। इसके बावजूद, बिजली कंपनियों के सही प्रबंधन न होने के कारण उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का भार उठाना पड़ रहा है। इस प्रस्ताव के खिलाफ जबलपुर के सामाजिक संगठनों और कांग्रेस ने प्रदेशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है, जिससे यह मामला और भी गरमाया है।
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