हमारे हिंदू (सनातन) धर्म में पितृ पक्ष का काफी खास महत्व होता है। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर 2022 यानी आज से शुरू हो चुका है और इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा। पितृ पक्ष में पितरो का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है और इस दौरान पितरों की तिथि अनुसार उनका तर्पण किया जाता है। साथ ही उनका मनपसंद खाना भी बनाया जाता है।
पितृ पक्ष के दौरान ब्राह्मणों को भोजन करना अच्छा रहता है और दान देना भी काफी शुभ माना जाता है। इस दौरान लोग पितरों के नाम पर कौओं को भोजन कराते है। हिंदू धर्म में कौओं को पितरों का दर्जा दिया गया है। पितृ पक्ष हो या कोई भी शुभ कार्य पितरों को याद करते हुए लोग कौओं को भोजन कराते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि, “आखिर पितृ पक्ष में कौओं को ही भोजन क्यों कराया जाता है और इसका क्या महत्व होता है ?”
कौओं को क्यों माना जाता है पितृ ?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पितृ पक्ष के दौरान पितृ कौओं के रूप में धरती पर आते हैं। इस बात का वर्णन शास्त्रों में भी किया गया है कि, “देवताओं के साथ ही कौए ने भी अमृत को चखा था। जिसके बाद कौओं की मौत कभी भी प्राकृतिक रूप से नहीं होती है, कौए बिना थके लंबी दूरी की यात्रा तय कर सकते हैं और ऐसे में किसी भी तरह की आत्मा कौए के शरीर में वास कर सकती है और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा सकती है।”
इन्हीं कारणों के चलते पितृ पक्ष में कौओं को भोजन कराया जाता है। वहीं, जब किसी व्यक्ति की मौत होती है तो उसका जन्म कौआ योनि में होता है, इस कारण कौओं के जरिए लोग अपने पितरों को भोजन कराया करते है।
कौओं के अलावा इन्हें भी कराया जाता है भोजन –
लेकिन पितृ पक्ष के दौरान सिर्फ कौओं को ही नहीं उनके अलावा गाय, कुत्ते और पक्षियों को भी भोजन कराया जाता है। माना जाता है कि, अगर इनकी ओर से भोजन को स्वीकार नहीं किया जाता है तो इसे पितरों की नाराजगी का संकेत माना जाता है।
कौओं को भोजन कराए जाने की अद्भुत कथा –
पौराणिक कथा के मुताबिक, ” देवराज इंद्र के बेटे जयंत ने कौए का रूप धारण किया और एक दिन सीता माता के पैर में चोंच मार दी, इस पूरी घटना को राम जी देख रहे थे। माता सीता पर जयंत का प्रहार देख प्रभु श्रीराम ने एक तिनका मंत्र मुग्ध कर चलाया तो वह कौए की एक आंख में जाकर लग गया।
इससे कौए की एक आंख खराब हो गई और उस कौए ने श्रीराम से अपनी गलती के लिए माफी मांगी। कौए की माफी से भगवान राम प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद दिया कि पितृ पक्ष में कौए को दिए गया भोजन पितृ लोक में निवास करने वाले पितृ देवों को प्राप्त होगा।