साल की अंतिम संकष्टी चतुर्थी 30 दिसंबर यानी आज मनाई जा रही है। सनातन धर्म में भगवान गणेश को सभी देवी-देवताओं में सर्व प्रथम पूजनीय माना गया हैं। श्रीगणेश को बुद्धि, बल और विवेक का देवता माना जाता है और कहते हैं कि, भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।
शुभ मुहूर्त –
हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए ढेरों व्रत-उपवास आदि किए जाते हैं, लेकिन भगवान गणेश के लिए किए जाने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत सबसे प्रसिद्ध है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी 30 दिसंबर यानी आज मनाई जा रही है। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 30 दिसंबर को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 31 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। वहीं, संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा को अर्घ्य रात 8 बजकर 36 मिनट पर दिया जाएगा।
पूजन विधि –
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ सुथरे वस्त्र धारण कर। पूजा घर के ईशान कोण में एक चौकी रखें और उसपर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित करे। सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें और पूजन विधि शुरू करते हुए गणेश जी को जल, दूर्वा, अक्षत, पान अर्पित करें।
गणेश जी से अच्छे जीवन की कामना करें और इस दौरान “गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें। प्रसाद में गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू, बूंदी या पीले मोदक चढ़ाएं। चतुर्थी पूजा संपन्न करते हुए त्रिकोण के अगले भाग पर एक घी का दीया, मसूर की दाल और साबुत मिर्च रखें और पूजा संपन्न होने पर दूध, चंदन और शहद से चंद्रदेव को अर्घ्य देकर प्रसाद ग्रहण करें।
इन मंत्रों का करें जाप –
“गं गणपतये नमः”
“गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
1. संकष्टी चतुर्थी के दिन गाय के घी में सिंदूर मिलाकर दीपक जला लें फिर इस दीपक को भगवान गणेश के सामने रख कर भगवान गणेश को गेंदे का फूल अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं। इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी।
2. केले के पत्ते को अच्छी तरह साफ कर के उसपर रोली चन्दन से त्रिकोण की आकृति बना लें। फिर केले के पत्ते को पूजा स्थल पर रखकर इसके आगे दीपक रख दें। इसके बाद त्रिकोण की आकृति के बीच में मसूर की दाल और लाल मिर्च रख कर इसके बाद “अग्ने सखस्य बोधि नमः” मंत्र का जाप करें।
3. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के मस्तक पर चंदन, सिंदूर व अक्षत का तिलक जरूर करें। इससे भगवान गणेश बेहद प्रसन्न होते हैं और साथ ही जातकों का भाग्योदय भी होता है।